Indian Army: टी -72 टैंकों की होगी विदाई, 1,770 एफआरसीवी होंगे सेना में शामिल, 60,000 करोड़ की लागत, जानें इसकी ताकत
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 4, 2024 15:43 IST2024-09-04T15:40:26+5:302024-09-04T15:43:09+5:30
Indian Army: भारतीय सेना के पास इस समय लगभग 1800 टी -72 टैंक हैं। यह रूसी तकनीक से बने पुराने टैंक हैं। नए जमाने में युद्ध के तौर तरीके भी बदल गए हैं। वर्तमान समय में टैंको को सबसे ज्यादा खतरा ड्रोन से है। टी -72 टैंकों को बदलने के लिए भारत में 1,770 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (एफआरसीवी) का उत्पादन होगा।

एफआरसीवी घातक मारक क्षमता और अभेद्य सुरक्षा वाला एक भविष्य का मुख्य युद्धक टैंक होगा
नई दिल्ली: रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने मंगलवार, 3 सितंबर को एक बड़ी रक्षा परियोजना को मंजूरी दी। इसके तहत 145 लाख करोड़ रुपये की लागत से भारत में निर्मित भविष्य के लिए तैयार लड़ाकू वाहनों (एफआरसीवी), रडार, विमान, गश्ती जहाज और युद्धपोतों का निर्माण किया जाएगा। लगभग ₹60,000 करोड़ की लागत से भारतीय सेना की बख्तरबंद कोर को आधुनिक बनाया जाएगा। सेना ने पुराने रूसी T-72' टैंकों की जगह 1,770 एफआरसीवी (फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल ) शामिल करने की योजना बना रही है।
टैंक बेड़े के आधुनिकीकरण के लिए एफआरसीवी की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि यह बेहतर गतिशीलता, हर इलाके में चलने वाला, घातक मारक क्षमता और अभेद्य सुरक्षा वाला एक भविष्य का मुख्य युद्धक टैंक होगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की शीर्ष सैन्य खरीद डीएसी की बैठक की अध्यक्षता की।
डीएसी द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं के कुल मूल्य का 99% हिस्सा स्वदेशी स्रोतों का होगा। मंत्रालय ने कहा कि डीएसी ने हवाई लक्ष्यों का पता लगाने, ट्रैक करने और उन पर हमला करने के लिए वायु रक्षा अग्नि नियंत्रण रडार की खरीद को मंजूरी दे दी। एफआरसीवी (फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल ) का उत्पादन आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।
एफआरसीवी (Future Ready Combat Vehicles ) की खासियत
भारतीय सेना ने दुनिया भर में हाल ही में हुए युद्धों का बड़ी गंभीरता से अध्ययन किया है। दो साल से भी ज्यादा समय से जारी रूस-यूक्रेन जंग में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों की जो हालत हुई है उसे ध्यान में रखते हुए एफआरसीवी को डिजाइन किया जाएगा। फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल एक चलता फिरता किला होगा। यह बारूदी सुरंग का विस्फोट झेलने की क्षमता भी रखता है। एके 47 जैसी रायफल की गोली भी इस टैंक का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। पुराने टैंको के मुकाबले इसमें अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। टैंक में मॉड्यूलर ऑर्मर, नॉन-एक्सप्लोसिव रिएक्टिव ऑर्मर, एक्सप्लोसिव रिएक्टिव ऑर्मर जैसे हथियार भी लगें होंगे।
टी -72 टैंकों को बदला जाएगा
भारतीय सेना के पास इस समय लगभग 1800 टी -72 टैंक हैं। यह रूसी तकनीक से बने पुराने टैंक हैं। नए जमाने में युद्ध के तौर तरीके भी बदल गए हैं। वर्तमान समय में टैंको को सबसे ज्यादा खतरा ड्रोन से है। टी -72 टैंकों को बदलने के लिए भारत में 1,770 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (एफआरसीवी) का उत्पादन होगा जो ड्रोन हमले को विफल करने वाली प्रणाली से लैस होंगे।
टी -72 टैंकों को सेवा से बाहर करने की शुरुआत साल 2030 से होगी। सेना ने अब तक आधुनिक 1,200 टी-90एस 'भीष्म' टैंकों को शामिल किया है। इस साल, यह 118 स्वदेशी अर्जुन मार्क-1ए टैंकों में से पहले पांच को शामिल करेगी। इसके अलावा सेना ने प्रोजेक्ट ज़ोरावर के तहत लगभग 17,500 करोड़ रुपये की लागत से 354 स्वदेशी लाइट टैंक शामिल करने की योजना बनाई है। ये टैंक उच्च ऊंचाई वाले युद्ध के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और ये 25 टन से कम वजन के हैं।