लद्दाखः भारत और चीन की सेनाओं ने बृहस्पतिवार को एक बड़े घटनाक्रम में घोषणा की है कि उन्होंने पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स से पीछे हटना शुरू कर दिया है जिससे पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-15 क्षेत्र में दो साल से अधिक समय से चला आ रहा गतिरोध खत्म हो जाएगा।
भारतीय और चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में ‘पेट्रोलिंग पॉइंट-15’ से पीछे हटना शुरू किया है। संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में ‘पेट्रोलिंग प्वाइंट 15’ से समन्वित और नियोजित तरीके से पीछे हट रहे हैं।
दो साल से अधिक समय से भारत और चीन की सेनाओं के बीच कई स्थानों पर टकराव के कारण उनके मध्य गतिरोध बना हुआ है। भारत हमेशा से मानता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। गतिरोध को हल करने के लिए दोनों सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत अब तक की है।
पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हो गया। इसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी। हालांकि, सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट और गोगरा क्षेत्र से सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी की।
लेकिन एलएसी पर भारत-चीन के अब भी 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। यह बयान अगले सप्ताह उज्बेकिस्तान में होने वाली एक बैठक से पहले आया है, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के भाग लेने की उम्मीद है। ऐसी अटकलें हैं कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक हो सकती है। हालाँकि, ऐसी संभावना को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।
दोनों सेनाओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि पीछे हटने की प्रक्रिया की शुरुआत जुलाई में हुई 16वें दौर की उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता का परिणाम है। बयान में कहा गया, "भारत-चीन के बीच 16वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बैठक में बनी सहमति के अनुसार, आठ सितंबर 2022 को गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्र से भारतीय और चीनी सैनिकों ने समन्वित एवं नियोजित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के लिए अच्छा है।"