चीन और पाकिस्तान से लगती सीमा पर भारतीय वायु सेना करेगा अभ्यास, राफेल, सुखोई और अपाचे का दम देखेगा दुश्मन
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: September 2, 2023 03:19 PM2023-09-02T15:19:24+5:302023-09-02T15:21:40+5:30
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह अभ्यास 4 से 14 सितंबर तक होगा। 9-10 सितंबर को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी ये जारी रहेगा। प्रशिक्षण अभ्यास लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब सहित उत्तरी क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा।
Indian Air Force has announced exercise Trishul: नई दिल्ली में होने वाले G20 शिखर सम्मेलन से पहले, भारतीय वायु सेना ने 'त्रिशूल' नाम से एक प्रमुख प्रशिक्षण अभ्यास आयोजित करने की घोषणा की है। यह अभ्यास चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं वाले उत्तरी क्षेत्र में किया जाएगा। माना जा रहा है कि ये अभ्यास चीन और पाकिस्तान के खतरे से एक साथ निपटने की तैयारियों को मद्देनजर रखते हुए किया जा रहा है।
वायु सेना के 'त्रिशूल' अभ्यास में अग्रिम पंक्ति के सभी लड़ाकू विमान शामिल होंगे इसलिए इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। अभ्यास में राफेल, मिराज 2000 और Su-30MKI लड़ाकू विमानों के प्रमुख बेड़े की भागीदारी देखी जाएगी। इसके अलावा चिनूक और अपाचे सहित भारी-भरकम परिवहन विमान और हेलिकॉप्टर भी सैन्य अभ्यास में भाग लेंगे। वायुसेना के विशेष कमांडो गरुण भी इस अभ्यास में हिस्सा लेंगे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह अभ्यास 4 से 14 सितंबर तक होगा। 9-10 सितंबर को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी ये जारी रहेगा। प्रशिक्षण अभ्यास लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब सहित उत्तरी क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा।
नवीनतम घोषणा तब आई है जब भारतीय वायुसेना अक्टूबर-नवंबर में तरंग शक्ति नामक एक बहुपक्षीय अभ्यास करने की योजना बना रही है। इसमें लड़ाकू जेट, सैन्य परिवहन विमान, मध्य हवा में ईंधन भरने वाले और हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली (AWACS) विमानों की भी भागीदारी देखी जाएगी।
बता दें कि हाल ही में भारतीय सेना ने भी राजस्थान के पोखरण में तोपखाने, टैंक्स और भारी हथियारों के साथ युद्धाभ्यास किया था। इसमें अर्जुन टैंक, धनुष तोप और आकाश मिसाइल सिस्टम के बेजोड़ मारक क्षमता का प्रदर्शन किया गया। इससे पहले भारतीय नौसेना ने भी ऑस्ट्रेलिया में मालाबार नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लिया था।
भारतीय वायु सेना ने 'त्रिशूल' अभ्यास का निर्णय तब किया है जब चीन ने अपने नक्शे में अक्साई चिन और अरुणाचल को अपने क्षेत्र में दिखाया था। एलएसी पर चीन द्वारा भुमिगत बेस और सुरंगें बनाने की बात भी सामने आ चुकी है। गलवान की घटना के बाद से ही भारत और चीन के बीच शुरू हुआ तनाव अब तक चला आ रहा है। मौजूदा खतरों को देखते हुए भारत की तीनों सेनाएं भी अपनी तैयारियों को लगातार पुख्ता कर रही हैं और ताकत बढाने के लिए आधुनिक हथियार अपने भंडार में शामिल कर रही हैं।