कुलभूषण जाधव पर फैसला आने के बाद अगली रणनीति तय करेगा भारत
By संतोष ठाकुर | Published: July 11, 2019 08:59 PM2019-07-11T20:59:29+5:302019-07-11T20:59:29+5:30
कुलभूषण जाधव पर अंतरराष्ट्रीय अदालत में 17 जुलाई को फैसला आना है। इसके लिए भारत से अधिकारियों की एक टीम हैग रवाना होने वाली है। हालांकि सरकार ने इस मामले में कोई भी अगला कदम उसी समय उठाने का निर्णय किया है जब जाधव पर कोई फैसला आ जाए।
कुलभूषण जाधव पर अंतरराष्ट्रीय अदालत में 17 जुलाई को फैसला आना है। इसके लिए भारत से अधिकारियों की एक टीम हैग रवाना होने वाली है। हालांकि सरकार ने इस मामले में कोई भी अगला कदम उसी समय उठाने का निर्णय किया है जब जाधव पर कोई फैसला आ जाए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस समय कोई भी कदम तय नहीं किया गया है। एक बार जब फैसला आएगा तो उसके उपरांत ही कोई कदम उठाया जाएगा। कुलभूषण जाधव मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं और ईरान में अपने कारोबार के लिए गए थे।
कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ईरान की सीमा से अगवा कर उसे भारतीय जासूस करार देते हुए जेल में डाल दिया। इसके उपरांत बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के उसे सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुना दी। जिसके बाद भारत ने अपने नागरिक को बिना वजह गिरफ्तार करने और उसे फांसी की सजा देने का विरोध किया और उस तक काउंसलर पहुंच देने की मांग की। जब पाक ने इसे स्वीकार नहीं किया तो भारत ने कुलभूषण जाधव की गिरफतारी और सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत में अपील की। जिसके बाद उसकी पत्नी और परिजनों को भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों के साथ मिलने की इजाजत दी गई। इस बीच अंतरराष्ट्रीय अदालत में सुनवाई भी होती रही और इसमें अंतिम फैसला 17 जुलाई को सुनाने का ऐलान किया गया।
भारतीय राजनयिक जेपी सिंह का चरित्र दिखेगा फिल्म में
कुलभूषण जाधव को लेकर एक फिल्म बनाने को लेकर भी चर्चा है। मुंबई के एक निर्देशक ने कहा है कि वह इस मामले पर फिल्म बनाएंगे। इसमें भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी जेपी सिंह के जीवन से संबंधित भी एक महत्वपूर्ण चरित्र होगा। जब कुलभूषण जाधव के परिजन उससे मिलने जेल गए थे तो जेपी सिंह पाक में उप—उच्चायुक्त थे और वह भी उनके साथ मुलाकात के लिए गए थे। इस दौरान उनके चरित्र और उनके राजनयिक दायित्व निवर्हन की दुनिया भर में सराहना हुई थी। यह कहा गया कि पाक जैसी कठिन जगह पर जिस सयंमित तरीके से उन्होंने स्थिति को संभाला, वह काबिले तारिफ था।