कोलंबो, छह जनवरी कोरोना वायरस महामारी का भारत-श्रीलंका के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ने की बात पर जोर देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि और दोनों देश कोविड-19 के बाद सहयोग को लेकर आशान्वित हैं।
श्रीलंका के विदेश मंत्री दिनेश गुणवर्धन के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि कोविड महामारी ने दोनों देशों को और करीब से काम करने का मौका दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसने हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं डाला है। वास्तविकता यह है कि और हमारे प्रधानमंत्रियों के बीच पिछले साल हुई ऑनलाइन बैठक इन संबंधों पर मुहर थी। ’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बीच बातचीत के तीन महीने बाद जयशंकर श्रीलंका की यात्रा पर हैं। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच बातचीत के दौरान आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, समुद्री सुरक्षा और व्यापार तथा निवेश के क्षेत्र में संबंधों को बेहतर बनाने पर सहमति बनी थी।
जयशंकर ने कहा, ‘‘अब हम कोविड के बाद की साझेदारी को लेकर आशान्वित हैं और भारत से टीका प्राप्त करने के श्रीलंका के हित को अपने ध्यान में रख रहे हैं।’’
जयशंकर के साथ कोलंबो में बैठक के दौरान श्रीलंका की सरकार ने औपचारिक रूप से कोविड टीके के लिए भारत की सहायता मांगी है।
श्रीलंका के विदेश मंत्री गुणवर्धन के न्योते पर जयशंकर पांच से सात दिसंबर तक तीन दिनों की यात्रा पर यहां आए हैं। यह 2021 में उनकी पहली विदेश यात्रा है। साथ ही वह नये साल में श्रीलंका आने वाली पहली विदेशी हस्ती हैं।
जयशंकर ने रेखांकित किया कि पड़ोसी देश फिलहाल कोविड-19 के बाद की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ जन स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है बल्कि आर्थिक संकट की स्थिति भी है।’’
जयशंकर ने इस बात पर बल दिया कि श्रीलंका के लिए भारत ‘‘भरोसेमंद और विश्वसनीय साझेदार है’’। उन्होंने कहा कि देश ‘‘परस्पर हित, परस्पर विश्वास, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता’’ के आधार पर द्वीपीय देश के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने के पक्ष में है।
उन्होंने अल्पसंख्यक तमिलों की आशाओं को समझने और एकीकृत श्रीलंका के तहत उन्हें पूरा करने की जरुरत पर बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत श्रीलंका की एकता, स्थिरता और अखंडता को लेकर प्रतिबद्ध है। हम श्रीलंका में मेल-मिलाप की प्रक्रिया का हमेशा की तरह साथ दे रहे हैं।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘यह श्रीलंका के हित में है कि एकीकृत श्रीलंका के भीतर तमिलों की समानता, न्याय, शांति और सम्मान की आकांक्षाओं को पूरा किया जाए। यह श्रीलंका की सरकार द्वारा संविधान के 13वें संशोधन में किए गए बदलावों को लागू करने के वादे के समान ही है।’’
विदेश मंत्री का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सत्तारूढ़ श्रीलंका पीपुल्स पार्टी के सहयोगियों द्वारा श्रीलंका प्रांतीय विधानसभा प्रणाली को समाप्त करने का दबाव बनाया जा रहा है। गठबंधन में मौजूद सिंहला बहुल कट्टरवादी 1987 में लागू हुई प्रातीय विधानसभा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।
जयशंकर ने समुद्री सुरक्षा को लेकर दोनों देशों के बीच सहयोग पर भी जोर दिया।
संवाददाता सम्मेलन से पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और अपने समकक्ष गुणवर्धन से मुलाकात करने वाले जयशंकर का मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद से मुलाकात करने का भी कार्यक्रम है। विदेश मंत्री ने कहा कि वह श्रीलंका में हिरासत में लिये गए भारतीय मछुआरों की शीघ्र वापसी को लेकर आशान्वित हैं।
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