पूर्वी लद्दाख में झड़प की पहली बरसी पर भारत ने गलवान के जांबाजों को याद किया

By भाषा | Updated: June 15, 2021 21:41 IST2021-06-15T21:41:08+5:302021-06-15T21:41:08+5:30

India remembers Galwan's bravehearts on the first anniversary of clashes in eastern Ladakh | पूर्वी लद्दाख में झड़प की पहली बरसी पर भारत ने गलवान के जांबाजों को याद किया

पूर्वी लद्दाख में झड़प की पहली बरसी पर भारत ने गलवान के जांबाजों को याद किया

नयी दिल्ली, 15 जून पूर्वी लद्दाख में एक साल पहले चीनी आक्रमकता का सामना करते हुए प्राण न्योछावर करने वाले अपने सैन्य कर्मियों को भारत ने मंगलवार को याद किया और इस अवसर पर गलवान के जांबाजों को श्रद्धांजलि दी गई।

थल सेना ने कहा, ‘‘ उनकी वीरता राष्ट्र की स्मृति में ‘‘सदैव अंकित’’ रहेगी।’’ सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने घातक झड़पों की पहली बरसी पर 20 सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने में बल का नेतृत्व किया। इन झड़पों ने क्षेत्र में राजनीतिक एवं सैन्य परिदृश्य को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है।

‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के कार्यवाहक जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल आकाश कौशिक ने प्रतिष्ठित लेह युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण करके शहीद सैन्य कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा की जिम्मेदारी 14 कोर की है।

तेलंगाना के मंत्री के टी रामाराव ने शहीद कर्नल संतोष बाबू की एक प्रतिमा का मंगलवार को राज्य के सूर्यापेट में अनावरण किया।

कर्नल बाबू राज्य की राजधानी हैदराबाद से लगभग 140 किलोमीटर दूर स्थित सूर्यापेट के निवासी थे।

वहीं, हवलदार के. पलानी की पत्नी वनती देवी ने पीटीआई-भाषा से कहा, “उनके चले जाने के एक साल बाद भी मेरे जीवन में मायूसी है। यह मेरे और मेरे दो बच्चों के लिए व्यक्तिगत क्षति है। लेकिन भारत के लिए उन्होंने बलिदान दिया, इस पर मुझे गर्व है।”

हवलदार (गनर) के. पलानी को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। वह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिला स्थित कडुकलूर गांव के निवासी थे।

तीन अन्य सैनिकों, नायब सूबेदार नुदुरम सोरेन, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को भी मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने ट्विटर पर मंगलवार को गलवान के जांबाजों को श्रद्धांजलि दी।

चीन के साथ गतिरोध से निपटने के सरकार के तौर तरीकों की आलोचक रही कांग्रेस ने कहा कि कई सवाल अब भी अनुत्तरित हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा, ‘‘मैं गलवान में पीएलए के सैनिकों के साथ झड़प में अपना जीवन बलिदान करने वाले बिहार रेजीमेंट के 20 जवानों को याद करने में इस कृतज्ञ राष्ट्र के साथ खुद को शामिल करता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस घटना को लेकर कई सवालों के जवाब अभी नहीं मिले हैं और सरकार को जनता के समक्ष कई स्पष्टीकरण देने हैं।’’

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी ने बहुत ही धैर्य के साथ इंतजार किया था कि सरकार सामने आएगी और देश को उन हालात के बारे में सूचित करेगी, जिनमें यह अप्रत्याशित घटना घटी तथा वह लोगों को विश्वास दिलाएगी की हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘अब कांग्रेस पार्टी अपनी इस चिंता को फिर से प्रकट करती है कि अब तक कोई स्पष्टता नहीं है और इस विषय पर प्रधानमंत्री का आखिरी वक्तव्य पिछले साल आया था कि कोई घुसपैठ नहीं हुई।’’

शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने लोगों को याद दिलाया कि बहादुर सैनिकों ने दुश्मन को मार गिराया था।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया, ‘‘आंखों में नमी, लेकिन हृदय में अभूतपूर्व गर्व की अनुभूति है कि मां भारती के सपूतों ने मातृभूमि के गौरव और सम्मान की रक्षा अपना सर्वोच्च बलिदान देकर भी की। देश का कण-कण अपने साहसी और वीर सपूतों का अनंत काल तक ऋणी रहेगा।’’

दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आप नेता अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘चीन के साथ गलवान घाटी में हुए संघर्ष को आज एक साल पूरे हो गये, देश के उन सभी वीर जवानों की अमर शहादत को सलाम जिन्होंने आखिरी सांस तक देश की रक्षा की। हमारे जवानों के उस अमर बलिदान का ये देश सदा ऋणी रहेगा।’’

गौरतलब है कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ पिछले साल 15 जून को भीषण झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जिसके बाद पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के बिंदुओं पर दोनों सेनाओं ने बल और भारी हथियार तैनात किए थे।

चीन ने फरवरी में आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और जवान मारे गए थे, हालांकि व्यापक रूप से यह माना जाता है कि मरने वाले चीनी सैनिकों की संख्या अधिक थी।

दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर गलवान में शहीद हुए 20 सैन्य कर्मियों के नाम अंकित किये गये हैं।

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