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भारत ने 10 वर्षों में 27 मिलियन लोगों को गरीबी से निकाला, झारखंड रहा नंबर वन: UN

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 12, 2019 11:08 IST

ग्लोबल MPI इंडेक्स दुनिया के 101 देशों की रिपोर्ट जारी करती है जो हेल्थ, शिक्षा और जीवन-स्तर के सूचकांकों को मद्देनजर रखते हुए तैयार की जाती है. ऑक्सफ़ोर्ड पावर्टी और ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव(OPHI) और संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनडीपी 10 मानकों का विश्लेषण कर इस रिपोर्ट को साझा रूप से जारी करती है.

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ठळक मुद्दे2005-06 में झारखंड का एमपीआई इंडेक्स 74.9 था जो 2015-16 में घट कर 46.5 रह गया. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2005-06 से 2015-16 तक 27.1 मिलियन लोगों को गरीबी से निकाला.भारत में अभी भी दलित, आदिवासी और मुस्लिम सबसे गरीब हैं.

भारत ने बीते 10 वर्षों में 27 मिलियन लोगों को गरीबी से निकाला है और इस मामले में झारखंड ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है. गुरुवार को जारी हुए ग्लोबल एमपीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने सबसे तेज गति से लोगों को गरीबी से निकाला है. गरीबी के मामले में पूरी दुनिया में सबसे बदतर हालात का सामना कर रहे उत्तर भारत के राज्य झारखण्ड ने तेजी के साथ सुधार किया है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2005-06 से 2015-16 तक 27.1 मिलियन लोगों को गरीबी से निकाला. संपत्ति, खाना पकाने वाला गैस, सैनिटेशन और पोषण शामिल ऐसे सूचक हैं जिनमें सुधार हुआ है. 

ग्लोबल MPI इंडेक्स दुनिया के 101 देशों की रिपोर्ट जारी करती है जो हेल्थ, शिक्षा और जीवन-स्तर के सूचकांकों को मद्देनजर रखते हुए तैयार की जाती है. ऑक्सफ़ोर्ड पावर्टी और ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव(OPHI) और संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनडीपी 10 मानकों का विश्लेषण कर इस रिपोर्ट को सामूहिक रूप से जारी करती है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि शामिल देशों में भारत ने प्रो-पुअर नीतियों के जरिये बेहतर सुधार किया है. सबसे गरीब क्षेत्रों ने इस मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है. 2005-06 में झारखंड का  एमपीआई इंडेक्स 74.9 था जो 2015-16 में घट कर 46.5 रह गया. 

एमपीआई इंडेक्स के मुताबिक, एमपी, यूपी, बिहार और झारखंड ये चार सबसे ज्यादा गरीबी के हालात का सामना करने वाले राज्य हैं. नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के डेटा के जरिये इस रिपोर्ट के इंडेक्स को तैयार किया गया है. इन 10 वर्षों में भारत में गरीबी लगभग आधी हो गई. पहले यह 55.1 प्रतिशत थी जो अब 27.9 रह गई. 

यूएनडीपी के एक अधिकारी के मुताबिक, भारत में अभी भी दलित, आदिवासी और मुस्लिम सबसे गरीब हैं. इस बीच मल्टी डायमेंशनल पावर्टी को कम करने में भारत ने बहुत तेज गति से सुधार किया है. 

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