भारत-पाकिस्तान में 29 वर्षों से चली आ रही परंपरा जारी, परमाणु प्रतिष्ठानों और केंद्रों की सूची का आदान-प्रदान, जानिए क्यों
By भाषा | Published: January 1, 2020 03:03 PM2020-01-01T15:03:24+5:302020-01-01T15:03:24+5:30
विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों ने ‘भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों के खिलाफ हमले पर रोक के समझौते’ के तहत आने वाले परमाणु प्रतिष्ठानों और केंद्रों की सूची का आदान-प्रदान किया।
भारत और पाकिस्तान ने 29 वर्षों से चली आ रही परंपरा को जारी रखते हुए एक द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत बुधवार को अपने अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान किया।
यह व्यवस्था दोनों देशों को एक-दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करने से रोकता है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों ने ‘भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों के खिलाफ हमले पर रोक के समझौते’ के तहत आने वाले परमाणु प्रतिष्ठानों और केंद्रों की सूची का आदान-प्रदान किया।
यह नई दिल्ली और इस्लामाबाद में कूटनीतिक माध्यमों के जरिए किया गया। दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर चल रहे कूटनीतिक तनाव के मद्देजनर सूची का आदान-प्रदान किया गया। इस समझौते पर 31 दिसंबर 1988 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह 27 जनवरी 1991 को लागू हुआ।
इस समझौते के तहत दोनों देशों के लिए हर साल एक जनवरी को एक-दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों और केंद्रों की सूचना देना अनिवार्य है। पहली बार एक जनवरी 1992 को सूची का आदान-प्रदान किया गया था और यह लगातार 29वां साल है।