चीफ जस्टिस एनवी रमण का बड़ा बयान- कहा न्यायपालिका में महिलाओं के लिए हो 50 प्रतिशत आरक्षण
By विनीत कुमार | Updated: September 26, 2021 16:09 IST2021-09-26T16:05:09+5:302021-09-26T16:09:29+5:30
एक महीने में यह दूसरी बार है जब मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने देश की न्यायिक प्रणाली में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया है। उन्होंने लॉ कॉलेजों में भी महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग का समर्थन किया।

न्यायपालिका में महिलाओं के लिए हो 50 प्रतिशत आरक्षण: चीफ जस्टिस (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: चीफ जस्टिस एनवी रमण ने न्यायपालिका में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की बात कही है। साथ ही उन्होंने देश भर के लॉ कॉलेजों में महिलाओं के लिए इसी प्रकार के समान आरक्षण की मांग का भी समर्थन किया।
सुप्रीम कोर्ट की महिला अधिवक्ताओं को एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'यह आपका अधिकार (न्यायपालिका और लॉ कॉलेज में आरक्षण) है... आप मांग करने के हकदार हैं।
उन्होंने कहा, 'हमें न्यायपालिका में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की आवश्यकता है... यह हजारों वर्षों के उत्पीड़न का मुद्दा है। न्यायपालिका के निचले स्तरों पर 30 प्रतिशत से कम न्यायाधीश महिलाएं हैं... उच्च न्यायालयों में यह 11.5 प्रतिशत है। सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ 11-12 फीसदी महिलाएं हैं।'
चीफ जस्टिस ने आगे कहा, 'देश में 17 लाख वकीलों में केवल 15 प्रतिशत महिलाएं हैं। राज्य बार काउंसिल में केवल दो प्रतिशत निर्वाचित प्रतिनिधि महिलाएं हैं। मैंने यह मुद्दा उठाया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया नेशनल कमेटी में एक भी महिला प्रतिनिधि क्यों नहीं है?'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इन मुद्दों को तत्काल सुलझाने की जरूरत है। चीफ जस्टिस ने कार्ल मार्क्स का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'मार्क्स ने कहा था कि अगर दुनिया भर के कामगार एक साथ हो जाएं, आपके पास खोने को कुछ नहीं रहेगा। मैं यही महिलाओं के लिए कहना चाहता हूं।'
दूसरी बार महिलाओं के लिए उठाई आवाज
इस महीने में यह दूसरी बार है जब मुख्य न्यायाधीश ने देश की न्यायिक प्रणाली में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी उन्होंने कहा था, 'स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद...सभी स्तरों पर महिलाओं के लिए कम से कम 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व की उम्मीद है...बड़ी मुश्किल से हमने सुप्रीम कोर्ट बेंच पर अब केवल 11 प्रतिशत हासिल प्रतिनिधित्व हासिल किया है।'
गौरतलब है कि 1 सितंबर को एक साथ तीन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के रूप में शपथ ली। यह एक ऐतिहासिक क्षण था। सुप्रीम कोर्ट में महिला न्यायाधीशों की संख्या अब चार हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट की शुरुआत से अब तक यहां बहुत कम महिलाओं ने जज के रूप में शपथ ली है। पिछले 70 से अधिक वर्षों में केवल आठ ही महिला जज अब तक यहां हुए हैं। इसकी शुरुआत 1989 में एम फातिमा बीवी से हुई थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में अभ चार महिला जजों के साथ जस्टिस बीभी नागरत्ना का भारती की पहली महिला चीफ जस्टिस भी बनना लगभग तय है। वे 2027 में ये पद संभाल सकती हैं। हालांकि उनका कार्यकाल करीब 1 महीने का ही रह सकता है।