भारत को भी करना पड़ सकता है भारी गर्मी का सामना, वैज्ञानिकों की चेतावनी

By भाषा | Published: March 5, 2020 07:38 PM2020-03-05T19:38:30+5:302020-03-05T19:38:30+5:30

अध्ययन में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों को शामिल करते हुए 1951-1975 और 1976-2018 के बीच भीषण गर्मी की आवृत्ति और तीव्रता में परिवर्तन पर गौर किया गया। पूरे भारत में लगभग 395 गुणवत्ता नियंत्रण केंद्रों द्वारा एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए वैज्ञानिकों ने देश में अत्यधिक तापमान के लिए जिम्मेदार तंत्र की पहचान की।

India may also have to face heavy heat, scientists warn | भारत को भी करना पड़ सकता है भारी गर्मी का सामना, वैज्ञानिकों की चेतावनी

यूरोप और रूस में भीषण गर्मी के कारण लगभग 1,000 लोगों की मौत हो गयी थी

Highlights2010 में रूस में जैसी भीषण गर्मी पड़ी थी वैसी गर्मी भारत में आम हो रही है। यूरोप और रूस में भीषण गर्मी के कारण लगभग 1,000 लोगों की मौत हो गयी थी

नयी दिल्ली: एक अध्ययन के अनुसार 2003 में पश्चिमी यूरोप में और 2010 में रूस में जैसी भीषण गर्मी पड़ी थी वैसी गर्मी भारत में आम हो रही है। यूरोप और रूस में भीषण गर्मी के कारण लगभग 1,000 लोगों की मौत हो गयी थी और फसलें बर्बाद हो गई थीं। ‘‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’’ नामक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में भारत में भारी गर्मी के लिए प्रमुख कारकों की पहचान की गयी है।

अध्ययन में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों को शामिल करते हुए 1951-1975 और 1976-2018 के बीच भीषण गर्मी की आवृत्ति और तीव्रता में परिवर्तन पर गौर किया गया। पूरे भारत में लगभग 395 गुणवत्ता नियंत्रण केंद्रों द्वारा एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए वैज्ञानिकों ने देश में अत्यधिक तापमान के लिए जिम्मेदार तंत्र की पहचान की।

अध्ययन करने वाले समूह में पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वैज्ञानिक भी शामिल थे। अध्ययन के प्रमुख लेखक मनीष कुमार जोशी ने पीटीआई भाषा को बताया कि निष्कर्षो से स्पष्ट होता है कि गंगा के मैदानी भाग को छोड़कर पूरे भारत में गर्म दिनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुयी है। जोशी आईआईटीएम से जुड़े हुए हैं।

शोधकर्ताओं के अनुसार, 1976 से 2018 के बीच, गंगा के मैदानी इलाकों को छोड़कर, देश के बड़े हिस्से में अप्रैल-जून के दौरान भारी गर्मी वाले औसतन 10 दिन थे। उन्होंने कहा कि यह संख्या 1951 -1975 की अवधि की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत अधिक है।

उन्होंने कहा कि 1976 के जलवायु परिवर्तन से पहले भारत के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में गर्म दिनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अध्ययन में गौर किया गया कि इस जलवायु परिवर्तन के बाद आंतरिक प्रायद्वीप हिस्से के उत्तर-पश्चिमी भागों और पश्चिमी तट से लगे क्षेत्रों में गर्म दिन काफी बढ़ गए हैं। जोशी और उनकी टीम का मानना ​​है कि यह भारत में तापमान में वृद्धि के स्थानिक बदलाव को दर्शाता है

Web Title: India may also have to face heavy heat, scientists warn

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