पुलिस फोर्स में महिलाओं की भर्ती के मामले में बिहार ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। बिहार की पुलिस फोर्स में 25.3 प्रतिशत महिलाएं हैं। पुलिस, जेल, न्यायपालिका, कानूनी मदद को लेकर हुए एक सलाना सर्वे के बाद ये बात सामने आई है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट को गुरुवार को जारी किया गया।
बिहार के बाद दूसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश (19.2 प्रतिशत) और तमिलनाडु (18.5 प्रतिशत) हैं। वैसे, पुलिस फोर्स में 20 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी के मामले में बिहार भले ही एकमात्र राज्य हो लेकिन अधिकारी वर्ग में केवल 6.1 प्रतिशत ही महिलाएं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु में पुलिस फोर्स में अधिकारी के तौर पर सबसे ज्यादा महिलाएं नियुक्त हैं। इनका प्रतिशत यहां 24.8 प्रतिशत है जबकि मिजोरम 20.1 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है।
विविधता के मामले में कर्नाटक एकमात्र ऐसा राज्य है जो एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग से अधिकारी और दूसरे पदों का कोटा भरने में कामयाब रहा है। रिपोर्ट में 1 करोड़ से अधिक 18 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों सहित 8 छोटे राज्यों की स्थिति का आकलन किया गया है।
इसमें खर्च, रिक्तियों, महिलाओं और एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों के प्रतिनिधित्व का विश्लेषण किया गया है। यह रिपोर्ट टाटा ट्रस्ट्स सहित सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, सीएचआरआई, डीएकेएसएच और टीआईएसएस-प्रेयर्स और विधी सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी की मदद से तैयार किया गया है।
हाई कोर्ट में महिला जजों की बात करें तो सिक्किम इस मामले में शीर्ष पर है। प्रतिशत के लिहाज से ये आंकड़ा 33.3 प्रतिशत है। दरअसल सिक्किम हाई कोर्ट में केवल तीन जज हैं। इसमें जस्टिस मीनाक्षी मदन राय एक मात्र महिला हैं।
कुल मिलाकर देश भर के हाई कोर्ट में 29 प्रतिशत महिलाएं हैं। इसमें हालांकि सिक्किम को छोड़ किसी भी राज्य में 20 प्रतिशत से ज्याद महिला जज नहीं हैं। चार राज्य- बिहार, उत्तराखंड, त्रिपुरा और मेघालय के हाई कोर्ट में कोई महिला जज नहीं है।