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भारत-चीन सीमा तनाव: कल होगी दोनों देशों के सेना के टॉप कमांडरों की बैठक, लद्दाख पर होगी अहम बात

By निखिल वर्मा | Updated: June 5, 2020 18:32 IST

भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। वहीं, भारत इसे अपना अभिन्न अंग करार देता है।

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ठळक मुद्दे एलएसी पर भारत की तरफ गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी सैनिक अच्छी-खासी संख्या में पहुंच गए थेएलएसी पर पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लगभग एक महीने तक तनातनी रही

भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच कल यानि छह जून को बैठक होगी। यह वार्ता चुशूल-मोलडो क्षेत्र में होगी। भारत की ओर से 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह चीन के मेजर जनरल लिउ लिन के साथ बात करेंगे।

खबरों के अनुसार, दोनों पक्ष शनिवार को पूर्वी लद्दाख में महीने भर से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने के मकसद से विशेष प्रस्तावों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। यह भारतीय और चीनी सेना के बीच पहली गहन वार्ता होगी जिसका नेतृत्व दोनों सेनाओं के लेफ्टिनेंट जनरल करेंगे।

चीन ने आज कहा है कि वह सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए भारत के साथ “संबंधित मुद्दे” को ठीक ढंग से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।

वही समाचार एजेंसी पीटीआई के सूत्रों ने कहा कि भारतीय पक्ष पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी और देमचोक में तनाव को कम करने के लिए वार्ता में विशिष्ट प्रस्ताव रख सकता है। यह पूर्वी लद्दाख के वे तीन क्षेत्र हैं जहां दोनों पक्षों के बीच पिछले एक महीने से कटु विवाद चल रहा है। यह तत्काल पता नहीं चल पाया है कि भारतीय सेना वार्ता की मेज तक किन प्रस्तावों को ले जाएगी लेकिन समझा जाता है कि वह सभी इलाकों में यथास्थिति पर लौटने पर जोर दे सकती है।

सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच स्थानीय कमांडर से लेकर दोनों सेनाओं के जनरल रैंक तक के अधिकारियों के बीच 10 चरण की वार्ता हो चुकी है लेकिन इन वार्ताओं से किसी तरह का सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है।

शुरुआत में विवाद शुरू होने के बाद, भारतीय सेना नेतृत्व ने फैसला किया कि वह भारतीय सैनिक पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित इलाकों में चीनी सैनिकों के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए कड़ा रुख अपनाएगा।

चीनी सेना ने पेंगोंग त्सो और गलवान घाटी में हजारों सैनिकों की तैनाती की है। साथ ही वह अस्थायी अवसंचरना और हथियारों के जखीरे को भी बढ़ा रहा है। सूत्रों ने कहा कि भारत भी अतिरिक्त सैनिकों और तोपें भेजकर अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है।

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