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India China Faceoff: लद्दाख में सीमा पर हालात अब भी तनावपूर्ण, लाल सेना के लिए चेतावनी, अब बोली से नहीं गोली से होगी बात

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: September 10, 2020 15:12 IST

लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर स्थिति अब भी काफी तनावपूर्ण है। दोनों ओर की सेनाएं पूरी तैयारी के साथ मौजूद हैं। अगर हालात और बिगड़े तो ये चिंताजनक बात होगी। इससे नुकसान दोनों पक्षों का होगा।

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ठळक मुद्देलद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनावपूर्ण हालात, चीन की उकसावे वाली हरकत और स्थिति खराब कर सकती हैकई सेक्टरों, खासकर पैंगांग झील के किनारों पर दोनों ओर की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं

जम्मू: लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनावपूर्ण हालात किसी भी समय एलओसी की तरह हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह बहुत ही भयानक परिस्थिति होगी और भारतीय सेना के लिए यह दूसरा सियाचिन का युद्ध का मैदान बन जाएगा।

ऐसी आशंका के पीछे के कई कारण हैं। चीनी सेना द्वारा की जाने वाली उकसावे वाली कार्रवाई में पहाड़ियों पर कब्जे की कवायद सबसे प्रमुख है। अभी तक दोनों ही पक्षों ने 1962 के युद्ध के उपरांत कब्जे वाली कवायद कभी नहीं की थी। 

अब पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर चूहे-बिल्ली का खेल आरंभ करने वाली चीनी सेना प्रतिदिन लद्दाख के उन इलाकों में टैंकों, तोपखानों के साथ शक्ति प्रदर्शन करने में जुटी है जहां उसने कब्जा कर रखा है और भारतीय पक्ष के अनुसार, इन पर अब विवाद है।

जानकारी के लिए पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी एलओसी यानी लाइन आफ कंट्रोल पर देश के बंटवारे के बाद हुए पहले युद्ध के बाद से ही जीवित जंग के मैदान बने हुए हैं। यहां प्रतिदिन हजारों की तादाद में गोलियों व गोले की बरसात दोनों पक्षों द्वारा सीजफायर के बावजूद की जा रही है। इस स्थिति के कारण दोनों ओर के नागरिकों का जीना मुहाल हो गया है।

हालांकि, लद्दाख के विवाद वाले सेक्टरों में नागरिकों की मौजूदगी नगण्य है, पर दोनों ओर की सेनाओं के बीच अगर गोली न चलाने के समझौते टूटते हैं तो दोनों पक्षों को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है। 

इसकी आशंका इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि चीनी सैनिकों द्वारा गोली चलाए जाने की घटना के बाद भारतीय सेना ने लाल सेना को चेतावनी दी है अगर उसने अब अपनी हद लांघी तो उसकी कार्रवाई का जवाब अब बोली से नहीं बल्कि गोली से ही मिलेगा।

लद्दाख में चीन सीमा पर हालात कितने तनावपूर्ण हो चुके हैं अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई सेक्टरों, खासकर पैंगांग झील के किनारों पर दोनों ओर के तोपखाने व टैंक एक दूसरे की तरफ मुंह कर बस आर्डर की प्रतीक्षा कर रहे हैं और जवान कहीं पर 300 फुट की दूरी पर और कहीं एक हजार फुट की दूरी पर आमने सामने हैं। 

ऐसे में चिंता का विषय यह है कि अगर एलएसी की हालत एलओसी की तरह हुए तो दोनों ही पक्षों को भारी नुकसान सहना पड़ सकता है।

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