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चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प को लेकर कांग्रेस ने कहा- पूरे देश में भारी रोष, पीएम मोदी ने मौन क्यों साध लिया

By रामदीप मिश्रा | Updated: June 17, 2020 12:52 IST

भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में पांच सप्ताह से अधिक समय से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। इस बीच सोमवार रात दोनों सेनाओं की बीच झड़प हुई है।

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ठळक मुद्देचीन से झड़प मामले पर कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से पूछा है कि वह चुप क्यों है?गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए।

नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प और भारतीय सैनिक की शहीद होने को लेकल कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से पूछा है कि वह चुप क्यों है। दरअसल, गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए। वहीं, भारतीय सेना ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया है और उसके 43 सैनिक हताहत हुए हैं, जिनमें से कई की मौत हो गई है। 

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, '20 जवानों के शहादत से पूरे देश में भारी रोष है। पूरे देश को हमारे वीर सपूतों के शौर्य पर गर्व है। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे भारत मां की अस्मिता की रक्षा की है। चीनी सेना के इस दुस्साहस पर पीएम और मोदी सरकार ने मौन साध लिया है।

उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी व पूरा  प्रतिपक्ष बार-बार केंद्र सरकार से गुहार लगाते रहें कि कुछ बताए कि आखिर बॉर्डर पर परिस्थितियां क्या हैं? चीन की सेना ने हमारी सरहदों में कहां तक कब्जा कर लिया है और हमारी कितनी जमीन हड़प ली है?'

राहुल गांधी ने कहा- जवानों की शहादत पर पीएम चुप क्यों

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लद्दाख की गलवानी घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक टकराव में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने की पृष्ठभूमि में बुधवार को सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले पर खामोश क्यों हैं। उन्होंने ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री खामोश क्यों हैं? वह छिपे हुए क्यों हैं? अब बहुत हो चुका। हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या हुआ है। हमारे सैनिकों की हत्या करने की चीन की हिम्मत कैसे हुई? हमारी भूमि पर कब्जा करने की उनकी हिम्मत कैसे हुई?'

1967 में 300 चीनी सैनिक मारे गए थे

बता दें, पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण गलवान घाटी क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया। भारतीय सेना ने भी चीन को करारा जवाब दिया है और उसके भी कई सैनिकों की झड़प में मौत हुई है। वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे। 

भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में पांच सप्ताह से अधिक समय से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। चीनी सेना के जवान बड़ी संख्या में पैंगोंग सो समेत अनेक क्षेत्रों में सीमा के भारतीय क्षेत्र की तरफ घुस आए थे। भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के उल्लंघन की इन घटनाओं पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करती रही है और उसने क्षेत्र में अमन-चैन की बहाली के लिए चीनी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग की है। दोनों पक्षों ने पिछले कुछ दिन में विवाद सुलझाने के लिए श्रृंखलाबद्ध बातचीत की थी। 

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