नई दिल्लीः परमाणु आपूर्ति समूह में भारत की सदस्यता के लिए ऑस्ट्रेलिया ने बृहस्पतिवार को मजबूत समर्थन जताया और विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में नयी दिल्ली की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के उनके समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच हुए ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में ऑस्ट्रेलिया के समर्थन की जानकारी दी गई।
बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय नागरिक परमाणु सहयोग जारी रखने और वैश्विक परमाणु अप्रसार को और मजबूत करने के लिए अपनी वचनबद्धता दोहराई। ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत को सदस्यता देने का मजबूत समर्थन किया।’’
एनएसजी 48 देशों का समूह है जो वैश्विक परमाणु व्यापार को नियंत्रित करता है। नये सदस्यों को सहमति से प्रवेश दी जाती है। भारत ने मई 2016 में सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया था। समूह के अधिकतर सदस्य जहां भारत का समर्थन करते हैं वहीं इस समूह में भारत के प्रवेश के लिए चीन विरोध करता रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता और 2021-22 में यूएनएससी में अस्थायी सीट के लिए भी समर्थन किया।
वार्ता के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए)की भारत के साथ रणनीतिक भागीदारी का भी समर्थन किया। बयान में कहा गया कि ऑस्ट्रेलिया, भारत और आईईए समुदाय के बीच मजबूत संबंध बनाने के लिए काम करना चाहता है। दोनों देशों ने ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में भी संबंध मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों देश जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और क्षेत्र तथा दुनिया के लिए महत्वपूर्ण अन्य मुद्दों पर साझीदारी जारी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, खासकर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और कोअलिशन फॉर डिजास्टर रिसिलिएन्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) के माध्यम से।’’ इसमें कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया को दोनों संगठनों का संस्थापक सदस्य होने का गौरव हासिल है।
आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया भारत और ऑस्ट्रेलिया ने
आतंकवाद से प्रभावी तरीके से निपटने के प्रयासों के तहत भारत और ऑस्ट्रेलिया ने बृहस्पतिवार को आभासी परिसपंत्तियों और नयी वित्तीय प्रौद्योगिकियों से जुड़े संभावित खतरों पर ध्यान देने का संकल्प लिया जिनका दुरुपयोग काले धन को सफेद में बदलने और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है।
अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन की ऑनलाइन शिखरवार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का भी संकल्प लिया कि आभासी संपत्तियों से जुड़े सेवा प्रदाता धनशोधन-रोकथाम और आतंकवाद वित्तपोषण निरोधक नियमों का पालन करें। मोदी-मॉरिसन की बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों देश मानते हैं कि आतंकवाद क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए खतरा बना हुआ है।
उन्होंने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा की। दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के कृत्यों को किसी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते’ (सीसीआईटी) को जल्द पारित करने की भी वकालत की। बातचीत में दोनों देशों ने हिंसक उग्रवाद से निपटते हुए, चरमपंथी ताकतों को रोककर, आतंकवादियों को आर्थिक मदद बाधित करके और आतंकी कृत्यों के संलिप्त लोगों पर कार्रवाई करते हुए आतंकवाद से निपटने में एक समग्र प्रयास की वकालत की।
इसमें कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने आतंकवाद के लिए इंटरनेट का दुरुपयोग रोकने पर जी20 ओसाका में नेताओं के बीच हुए समझौते के अनुरूप ऑनलाइन आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिहाज से सुदृढ़ पारदर्शिता के लिए इंटरनेट कंपनियों के साथ काम करने का संकल्प दोहराया।’’ बातचीत में दोनों देशों ने सात समझौतों पर भी दस्तखत किये जिनमें साजो-सामान सहयोग के लिहाज से सैन्य केंद्रों तक आदान-प्रदान का ऐतिहासिक समझौता भी शामिल है।