बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने बढ़ाई अपनी सक्रियता, महागठबंधन में बढ़ी बेचैनी

By एस पी सिन्हा | Updated: May 17, 2025 14:42 IST2025-05-17T14:42:23+5:302025-05-17T14:42:23+5:30

इस बीच चुनावी वर्ष में बिहार कांग्रेस ने कन्हैया कुमार की एंट्री करवा के अपने सहयोगी दल राजद और खासतौर पर तेजस्वी यादव को असहज कर दिया है।

In view of Bihar assembly elections, Congress increased its activity, restlessness increased in the grand alliance | बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने बढ़ाई अपनी सक्रियता, महागठबंधन में बढ़ी बेचैनी

बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने बढ़ाई अपनी सक्रियता, महागठबंधन में बढ़ी बेचैनी

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को इस बार कांग्रेस ने प्रमुखता और गंभीरता से लिया है। यही कारण है कि राहुल गांधी का लगातार बिहार का दौरा कर अपने आधार वोट को कांग्रेस से फिर से जोड़ने की तैयारी में जुटे हुए हैं। इस बीच चुनावी वर्ष में बिहार कांग्रेस ने कन्हैया कुमार की एंट्री करवा के अपने सहयोगी दल राजद और खासतौर पर तेजस्वी यादव को असहज कर दिया है। हालांकि ये असहजता अभी ज़ाहिर तो नहीं हो रही, लेकिन बिहार में साल की शुरुआत से ही कांग्रेस का सक्रिय होना महागठबंधन की आंतरिक राजनीति और उसके समीकरणों में बदलाव का संकेत दे रहा है। 

जानकारों की मानें तो सवर्ण के साथ दलित वोट भी कांग्रेस की वरीयता में है। इस आधार वोट के साथ मुस्लिम मतों का जोड़ कांग्रेस पार्टी को सत्तासीन होती रही थी। ऐसे में कांग्रेस युद्ध के स्तर पर दलित वोट को अपने पाले में करने के लिए बेसब्र है। अंबेडकर की तस्वीर और संविधान की किताब लिए राहुल गांधी न केवल स्पष्ट संदेश दे रहे हैं, बल्कि अपने फैसले से इसे साबित भी कर रहे हैं। इसके साथ ही बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार के जिम्मे बिहार की बागडोर सौंप कर यह संदेश भी दलितों तक पहुंचाने का काम किया है। 

कांग्रेस ने अपनी इस नीति के तहत कृष्णा अल्लावरू, राजेश कुमार, कन्हैया कुमार, अखिलेश प्रसाद सिंह, मदन मोहन झा और शकील अहमद खान तक को चुनावी जंग में उतारा है तो इसका स्पष्ट संदेश भी है। बिहार की राजनीति में अगर एनडीए गठबंधन में जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत अहम सवाल बने हुए हैं तो महागठबंधन में कांग्रेस की 'अतिरिक्त' सक्रियता। 

साल की शुरुआत से लेकर अब तक पार्टी नेता राहुल गांधी पांच बार पटना आ चुके हैं। ऐसे में उनके बिहार आने से पार्टी में जोश बढ़ा है। वहीं, कांग्रेस ने बिहार में सबसे पहले बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर दलित नेता राजेश राम को यह जिम्मेदारी दी। पार्टी ने दलित समुदाय से आने वाले सुशील पासी को बिहार का सह प्रभारी भी नियुक्त किया। फरवरी 2025 में कांग्रेस ने पहली बार प्रसिद्ध पासी नेता जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती भी मनाई। 

इस कार्यक्रम के साथ ही वह संकेत भी राजनीतिक गलियारों में गया था कि क्या कांग्रेस दलित राजनीति की ओर पांव बढ़ा रही है? अब राहुल गांधी के इस दलित मिशन का क्या फलाफल निकलेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन कांग्रेस ने क्या सत्ता, क्या विपक्ष दोनों ही खेमों में खलबली तो मचा ही दी।

जानकारों की मानें तो बिहार विधानसभा चुनाव में लगभग 19 प्रतिशत दलित वोट चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। बिहार की दलित राजनीति रामविलास पासवान,रमई राम के साथ साथ मायावती के प्रभाव से मुक्त होने के कारण एक मजबूत दलित नेतृत्व को आमंत्रण दे रहा है। चिराग पासवान ,जीतन राम मांझी अपने अपने खेमे के सरदार हैं। 

ऐसे में कांग्रेस उसको अपनी ओर लाने की रणनीति पर काम करने लगी है। बिहार विधानसभा की  243 सीटों में कांग्रेस ने फरवरी 2005 के चुनाव में 10, नवंबर 2005 में 09, साल 2010 के चुनाव में 04, 2015 के विधानसभा चुनाव में 27 सीटें जीती थी। वहीं, साल 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस को 70 सीटें दी थीं। जिसमें पार्टी ने महज 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। 

जबकि राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 75 सीटों पर जीत दर्ज कर गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। लेकिन कांग्रेस के उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न करने की वजह से तेजस्वी, सरकार नहीं बना सके। पिछला प्रदर्शन ही कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। कांग्रेस नेता मानते हैं कि पार्टी के जनाधार के मुताबिक सीटें नहीं देने की वजह से ऐसा हुआ। 

अबकी बार केन्द्रीय कांग्रेस ने तीन कंपनियों को बिहार में विधानसभा वार सर्वे का काम दिया है जिन्होंने 100 सीटों पर पार्टी से काम करने को कहा है। कांग्रेस के प्रवक्ता ज्ञान रंजन के अनुसार हम लोग 70 सीटों से कम पर नहीं मानेंगे और अबकी बार हमारी मनपसंद सीट होनी चाहिए, थोपी हुई सीट कांग्रेस नहीं लड़ेगी। लेकिन राजद सूत्र बताते है कि पार्टी कांग्रेस को 50 सीटें देगी और भाकपा (माले) की सीट 25 से 30 होगी। भाकपा (माले) ने साल 2020 में 19 सीट लड़ी थी और 12 पर जीत दर्ज की थी।

Web Title: In view of Bihar assembly elections, Congress increased its activity, restlessness increased in the grand alliance

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