यौन उत्पीड़न मामले में विजयवर्गीय, अन्य की अपील पर ममता सरकार से जवाब तलब
By भाषा | Updated: October 25, 2021 23:41 IST2021-10-25T23:41:06+5:302021-10-25T23:41:06+5:30

यौन उत्पीड़न मामले में विजयवर्गीय, अन्य की अपील पर ममता सरकार से जवाब तलब
नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने एक महिला के कथित यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के मामले में भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय, जिष्णु बसु और प्रदीप जोशी की याचिका पर सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार एवं अन्य से जवाब तलब किया।
न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने राज्य सरकार और महिला शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किये, लेकिन याचिकाकर्ताओं को कोई सुरक्षा देने से इनकार कर दिया। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम सुरक्षा के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा।
इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले में उनकी अंतरिम सुरक्षा बढ़ा दी है।
शीर्ष अदालत में, भाजपा नेताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील दी कि शिकायतकर्ता महिला ने यह आरोप लगाया गया था कि उसके साथ 28 नवंबर, 2018 को बलात्कार किया गया था, लेकिन शिकायत लगभग दो साल की देरी के बाद 2020 में दर्ज की गई थी।
जेठमलानी ने पीठ को यह भी बताया कि उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को 25 अक्टूबर तक अग्रिम जमानत दी थी और इसे बढ़ाया जा सकता है।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर बहस नहीं करेंगे।
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आज भाजपा नेताओं को उनकी याचिका पर दी गई अंतरिम सुरक्षा बढ़ा दी है।
महिला ने 20 दिसंबर, 2019 को कोलकाता के सरसुना थाने और बीरभूम जिले के बोलपुर थाने में कथित यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई थी।
उसने 12 नवंबर, 2020 को कोलकाता में अलीपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष अर्जी दायर की थी, जिसमें उसकी शिकायतों की जांच की मांग की गई थी, लेकिन अदालत ने 29 नवंबर, 2018 की कथित घटना की शिकायत दर्ज करने में देरी के आधार पर उसका अनुरोध ठुकरा दिया था और कहा था कि आरोप की सत्यता संदिग्ध है।
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