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विपक्ष ने राज्यसभा में आधार विधेयक का विरोध किया, कहा- कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करते हैं

By भाषा | Updated: July 8, 2019 18:02 IST

आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को चर्चा के लिए रखा और आधार के संबंध में उच्चतम न्यायालय की विभिन्न टिप्पणियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि यह निजता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता। इससे पहले वाम सदस्य के ई करीम ने दो मार्च को जारी आधार और अन्य विधियां (संशोधन) अध्यादेश, 2019 के खिलाफ एक संकल्प पेश किया।

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ठळक मुद्देउच्च सदन में ‘आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक 2019’ पर हुई चर्चा के दौरान विभिन्न विपक्षी दलों ने यह सुझाव दिया।कई सदस्यों का यह भी सुझाव था कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए ताकि इस पर विस्तृत चर्चा और समीक्षा हो सके।

राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने आधार कार्ड से जुड़ी जानकारियों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से इसके डाटा की सुरक्षा के लिए संसद में एक विधेयक लाने की मांग की और ध्यान दिलाया कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस संबंध में सुझाव दिया है।

उच्च सदन में ‘आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक 2019’ पर हुई चर्चा के दौरान विभिन्न विपक्षी दलों ने यह सुझाव दिया। कई सदस्यों का यह भी सुझाव था कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए ताकि इस पर विस्तृत चर्चा और समीक्षा हो सके।

इस विधेयक में बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिये आधार को स्वैच्छिक बनाने का प्रावधान किया गया है। कांग्रेस ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इसके कई प्रावधान उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लंघन करते हैं।

राज्यसभा में आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को चर्चा के लिए रखा और आधार के संबंध में उच्चतम न्यायालय की विभिन्न टिप्पणियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि यह निजता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता। इससे पहले वाम सदस्य के ई करीम ने दो मार्च को जारी आधार और अन्य विधियां (संशोधन) अध्यादेश, 2019 के खिलाफ एक संकल्प पेश किया।

विधेयक चर्चा के लिए रखते हुए प्रसाद ने कहा कि आधार संशोधन विधेयक उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में लाया गया है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी के पास आधार नहीं होने की स्थिति में उसे सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता है।

देश की जनता ने आधार की उपयोगिता को स्वीकार किया है

उन्होंने आधार को सुरक्षित करार देते हुए कहा कि देश की जनता ने आधार की उपयोगिता को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि देश तो आधार के साथ चल पड़ा है और पिछले पांच साल में एक भी गरीब ने ऐसी शिकायत नहीं की कि आधार के कारण उसका जीवन कठिन हुआ है।

प्रसाद ने कहा कि भारत की आबादी 130 करोड़ है और उनमें से 123.8 करोड़ लोगों के पास आधार है। 69.38 करोड़ मोबाइल फोन व 65.91 करोड़ बैंक खाते आधार से जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि आधार से 1.41 लाख करोड़ रुपए की बचत हुयी है।

उन्होंने कहा कि कोई बच्चा जब वयस्क हो जाता है तो उसे अधिकार है कि वह आधार प्राप्त करने के लिए नए सिरे से अनुमति दे। चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि आधाार एक देश, एक कार्ड नहीं है।

उन्होंने कहा कि आधार का उपयोग गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा नहीं किया जा सकता। यह गैर-सरकारी एजेंसियों के लिए नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आधार सेवा, लाभ और सब्सिडी के लिए है। उन्होंने कहा कि आधार में अधिकतर संवेदनशील आंकड़े होते हैं और सरकार अब तक डाटा सुरक्षा कानून नहीं लायी है।

आरोप लगाया कि सरकार डाटा सुरक्षा कानून से बच रही है

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार डाटा सुरक्षा कानून से बच रही है। उन्होंने कहा कि आंकड़े साझा करने वाले व्यक्ति को पता होना चाहिए कि उसके आंकड़ों का उपयोग कहां किया जा रहा है। सिंघवी ने सवाल किया कि इस संबंध में अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी और सरकार को डाटा सुरक्षा कानून लाना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि जब सरकार डाटा सुरक्षा कानून लाएगी तो फिर आधार कानून में संशोधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कई प्रावधान उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है। इसके साथ विधेयक में ऐसे कई प्रावधान हैं जिनमें सरकार को कदम उठाने की जिम्मेदारी दी गयी है जबकि वह कार्य संसद को करना है। 

राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि संप्रग सरकार ने अर्थव्यवस्था को बहुत ही खराब अवस्था में छोड़ा था

विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि संप्रग सरकार ने अर्थव्यवस्था को बहुत ही खराब अवस्था में छोड़ा था। आधार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संप्रग के शासनकाल में तथ्यों की पुष्टि किए बिना ही आधार कार्ड बनवाए जाते थे और ऐसे आधार कार्डों की मदद से लोग अपने मतदाता कार्ड बनवा लेते थे।

उन्होंने कहा कि सरकार में रहने के दौरान कभी कांग्रेस ने आधार कार्ड और डाटा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चिंता नहीं जताई। आज वह डाटा की सुरक्षा और निजता के मुद्दों पर संदेह जता रही है जबकि मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने आधार कार्ड के जरिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण को न केवल पुख्ता बनाया है बल्कि डाटा सुरक्षा पर भी ध्यान दिया है।

सपा के रविप्रकाश वर्मा ने कहा कि जब तक आपूर्ति तंत्र अपने कामकाज की गारंटी नहीं लेता तब तक व्यवस्था को परिणामदायी बनाने में आधार ज्यादा मदद नहीं कर सकता। उन्होंने स्वीकार किया कि आधार में किए गए सुधारों के कारण जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने में सफलता मिली है लेकिन उनके अनुसार यह आंशिक सफलता है।

रविप्रकाश ने कहा कि आधार प्रशासनिक विफलताओं का विकल्प नहीं बन सकता। उन्होंने कांग्रेस सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की इस मांग का समर्थन किया कि सरकार को यह विधेयक लाने से पहले डाटा सुरक्षा विधेयक लाना चाहिए।

मुत्तुकरप्पन ने कहा कि आधार को स्वैच्छिक होना चाहिए, इसे अनिवार्य नहीं होना चाहिए

अन्नाद्रमुक के एस मुत्तुकरप्पन ने कहा कि आधार को स्वैच्छिक होना चाहिए, इसे अनिवार्य नहीं होना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा सातवां विधेयक है जो कि सरकार द्वारा अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है।

उन्होंने कहा कि अध्यादेश ला कर सरकार संसद की मर्यादा को दिन प्रतिदिन कम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह विधेयक प्रवर समिति के पास भेज कर इस पर व्यापक चर्चा करानी चाहिए। बीजद के प्रशांत नंदा ने भी सरकार से कहा कि वह डाटा सुरक्षा विधेयक को जल्द से जल्द ले कर आए।

उन्होंने आधार को लेकर कांग्रेस और भाजपा के रूख पर परोक्ष संकेत करते हुए कहा कि सत्ता के साथ सुर बदल जाते हैं। यदि आप किसी बात से संतुष्ट हैं तो सत्ता में रहें या बाहर, आपको उस विचार का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीजू जनता दल इस विधेयक का समर्थन करता है।

जदयू की कहकशां परवीन ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह गरीबों का जीने का आधार है। उन्होंने कहा कि इससे सबसे ज्यादा लाभ गरीबों को ही मिला है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि आधार कार्ड में नागरिक के नाम या पते में कोई त्रुटि रह जाए तो उसे ठीक करवाने के लिए ग्राम पंचायत या ब्लॉक स्तर पर समुचित प्रबंध होने चाहिए।

माकपा सदस्य के के रागेश ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेज दिया जाना चाहिए ताकि इस पर व्यापक चर्चा हो सके। राजद के मनोज झा ने सरकार से सवाल किया कि विधेयक में प्रवर्तन तंत्र का उल्लेख किया गया है लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उसका क्या स्वरूप होगा।

उन्होंने सरकार से इस मामले में तस्वीर साफ करने के लिए कहा। बसपा के वीर सिंह ने कहा कि सरकार को इस बात के समुचित प्रबंध करने चाहिए कि गरीबों तक पहुंचाया जाने वाला धन सीधे उन तक पहुंचे। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इसके लिए कानून लाया जाना चाहिए।

कांग्रेस के जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में दिए गए एक वक्तव्य का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का यह कहना बिल्कुल गलत है कि कांग्रेस पार्टी ने आधार के विरोध में उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।

रमेश ने कहा कि स्वयं उन्होंने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी लेकिन यह याचिका आधार नहीं बल्कि आधार को संसद में धन विधेयक के रूप में पेश किए जाने के विरोध में थी और शीर्ष न्यायालय ने उनके पक्ष को सही ठहराते हुए मूल आधार के कई प्रावधानों को गलत बताया था। 

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