ज्ञानवापी विवाद के बीच बनारस के मुसलमानों ने शिवभक्तों की राह में गुलाब फेंककर पेश की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 8, 2022 03:16 PM2022-08-08T15:16:59+5:302022-08-08T15:36:18+5:30
भारत रत्न बिस्मिल्ला खां के नक्शे-कदम पर चलते हुए बनारस के मुसलमानों ने सावन के आखिरी सोमवार को शिवभक्तों के कदमों में गुलाब की पंखुड़ियों को फेंककर सांझी विरासत को एक बार फिर जीवंत करने का प्रयास किया।
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद के लाख विवाद होने के बावजूद बनारस के मुसलमानों ने सावन में शिवभक्तों पर पुष्पवर्षा करके ऐसी गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है, जो बताती है गंगा के जल से वजू करने वाले बनारस के मुसलमान अमन और भाईचारे के लिए सदैव आगे रहने में भरोसा रखते हैं।
जी हां, भारत रत्न बिस्मिल्ला खां के नक्शे-कदम पर चलते हुए बनारस के मुसलमानों ने सावन के आखिरी सोमवार को काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए कतार में खड़े शिवभक्तों के कदमों में गुलाब की पंखुड़ियों को फेंककर सांझी विरासत को एक बार फिर जीवंत करने का प्रयास किया है और वो भी उस वक्त में, जब ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी विवाद काशी की कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक बड़े विवाद के तौर पर पक्ष और विपक्ष की दलील में जंग सरीखे चल रहा है।
सावन में शिवमय हो गई काशी नगरी में अंतिम सोमवार के दिन काशी के मुस्लिमों ने चौक थाने से बाबा विश्वनाथ मंदिर तक लाइन में लगे शिवभक्तों पर पुष्प वर्षा करके अपनी ओर से उनका स्वागत किया। काशी के मुसलमानों के हाथों में केवल गुलाब की पंखुड़िया ही नहीं थी, बल्कि उनके हाथों में तिरंगा भी था। नमाज की टोपी लगाए मुस्लिम बंधू लाइन में लगे शिवभक्तों को बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए ऐसे उत्साह भर रहे थे, मानो वो स्वयं खुदा की इबादत कर रहे हों।
शिवभक्तों पर गुलाब की बारिश कर रहे बिस्मिल्लाह खान के मुहल्ले हड़हासराय के रहने वाले मोहम्मद आसिफ शेख ने कहा कि काशी का मुसलमान अपने मजहब के साथ सभी धर्मों को समान इज्जत देता है।
उन्होंने कहा, "इसकी सबसे मिसाल थी, जब बिस्मिल्लाह खान साहब काशी विश्वानाथ मंदिर में बधाई की शहनाई बजाया करते थे, वो मोहर्रम में मातम के वक्त भी शहनाई बजाते थे और गंगा किनारे उसी शहनाई का रियाज भी किया करते थे। काशी का मुसलमान गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखने के लिए केवल सावन में शिवभक्तों की राह में गुलाब नहीं फेंकता है बल्कि रामनवमी पर राम भक्तों की भी सेवा करता है।"
शेख ने कहा, "आज की तारीख में जब ये दर्शन करके अपने घरों को लौटेंगे तो साथ में काशी के आपसी भाईचारे की यादगार तस्वीर भी अपने दिलों में लेकर जाएंगे। हमें इस एकता की मिसाल को जिंदा रखना है और हम हमेशा ये करते रहेंगे।"
काशी की इस अनूठी मिसाल में मुस्लिम महिलाओं ने भी अपनी भागिदारी निभाई, उन्होंने भी महिला शिवभक्तों पुष्पवर्षा करके अभिनदंन किया। मुस्लिम महिलाओं का कहना था कि शिवभक्त महिलाएं और पुरुष हमारे भाई-बहन हैं। वो न जाने कहां-कहां से दर्शन करने के लिए आ रहे रहैं, ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि काशी की सरजमीं पर उनका स्वागत पुष्पवर्षा से हो, ताकि वो इस बात को याद रखें कि काशी सांझी परंपरा की बेशकीमती धरोहर है।