कुछ राज्यों में सक्रिय मामलों एवं ऑक्‍सीजन खपत के प्रतिमान में अंतर से असंतुलन हुआ : साकेत टीकू

By भाषा | Published: April 25, 2021 11:49 AM2021-04-25T11:49:14+5:302021-04-25T11:49:14+5:30

In some states, differences in active cases and pattern of oxygen consumption led to imbalance: Saket Tiku | कुछ राज्यों में सक्रिय मामलों एवं ऑक्‍सीजन खपत के प्रतिमान में अंतर से असंतुलन हुआ : साकेत टीकू

कुछ राज्यों में सक्रिय मामलों एवं ऑक्‍सीजन खपत के प्रतिमान में अंतर से असंतुलन हुआ : साकेत टीकू

नयी दिल्ली, 25 अप्रैल देश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अस्‍पतालों में सबसे ज्‍यादा किल्‍लत चिकित्सीय ऑक्‍सीजन को लेकर आ रही है। ऑक्‍सीजन के लिये मरीज भटक रहे हैं। केंद्र एवं राज्‍य सरकार प्रयास कर रहे लेकिन कुछ राज्यों में स्थिति गंभीर बनी हुई है। ‘ऑल इंडिया इंडस्ट्रियल गैसेज़ मैन्युफ़ैक्चरर्स एसोसिएशन’ के प्रमुख साकेत टीकू का कहना है कि अभी ऑक्‍सीजन की कमी नहीं है और राउरकेला, भिलाई, हल्दिया जैसे इलाकों में स्टॉक हैं लेकिन इसका सोच समझकर इस्तेमाल किया जाए। ऐसा इसलिये क्योंकि संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने के साथ कुछ राज्यों में सक्रिय मामले एवं खपत के प्रतिमान (पैटर्न) में अंतर के कारण काफी असंतुलन उत्पन्न हो गया है ।

पेश है ‘‘भाषा के पांच सवाल’’ पर साकेत टीकू का जवाब :-

सवाल : देश के कई राज्यों में चिकित्सीय ऑक्‍सीजन की भारी किल्लत है, अस्पतालों में स्थिति गंभीर है। कोविड-19 संकट के बीच कहां कमी रह गई ?

जवाब : कोविड-19 संक्रमण से पहले के समय में हम दैनिक रूप से 850 मीट्रिक टन चिकित्सीय आक्सीजन प्रतिदिन खपत करते थे। पिछले साल सितंबर में कोविड-19 संक्रमण बढ़ने के साथ ऑक्सीजन की मांग 3000-3200 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गई थी लेकिन उसके बाद जैसे-जैसे कोविड मरीजों की संख्या गिरी, चिकत्सीय ऑक्सीजन की मांग भी गिरना शुरू हो गई। लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद ऑक्‍सीजन की मांग बढ़कर 6000 मीट्रिक टन हो गई है। संक्रमण बढ़ने के साथ कुछ राज्यों में सक्रिय मामले एवं खपत के प्रतिमान में अंतर के कारण काफी असंतुलन उत्पन्न हो गया है ।

सवाल : ऑक्‍सीजन की आपूर्ति को लेकर अब तक क्या प्रयास किये गए क्योंकि जमीनीस्तर पर इसकी भारी किल्लत अभी बनी हुई है ?

जवाब : हमने पिछले साल ही अप्रैल महीने में इस विषय पर वाणिज्य मंत्रालय के साथ चर्चा की थी और उसके बाद सरकार ने सभी राज्यों की जरूरतों का आकलन किया था और व्यवस्था बनाई गई थी । इसके साथ ही औद्योगिक ऑक्‍सीजन को चिकित्सा उपयोग में लाने की दिशा में भी कदम उठाये गए थे । अब हम इस्पात कंपनियों से भी ऑक्‍सीजन ले रहे हैं । इसके अलावा ऑक्सीजन रेल चलाने जैसे कदम भी उठाये गए हैं ।

सवाल : जब औद्योगिक ऑक्‍सीजन का उपयोग चिकित्सा के लिये कर सकते हैं तब समस्या कहां है ?

जवाब : चिकित्सीय ऑक्सीजन की जरूरत महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में है लेकिन स्टॉक राउरकेला, भिलाई, हल्दिया में पड़ा हुआ है। चिकित्सीय ऑक्सीजन को एक से दूसरी जगह ले जाने के लिए विशेष रूप से तैयार किए टैंकरों की ज़रूरत पड़ती है जिन्हें क्रायोजेनिक टैंकर कहा जाता है क्योंकि तरल ऑक्‍सीजन को खास तापमान में रखने की जरूरत होती है । ऐसे में इनके परिवहन से जुड़ा मुद्दा है। हमें उम्मीद है कि जल्द स्थिति ठीक हो जायेगी ।

सवाल : क्या ऑक्‍सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था के समन्वय में कोई कमी रही या ऑक्‍सीजन प्रबंधन को लेकर कोई समस्या रही ?

जवाब : ऑक्‍सीजन प्रबंधन एक प्रमुख मुद्दा बनकर आया है । केरल, कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में ऑक्‍सीजन प्रबंधन बेहतर रहा है लेकिन कुछ राज्यों में इसकी समस्या रही है । इसके अलावा भी यह तय हो कि किस प्रवाह दर पर ऑक्‍सीजन प्रदान किया जाना चाहिए । कुछ राज्यों में 12-20 लीटर ऑक्‍सीजन प्रति मिनट दिया जा रहा है जबकि कुछ राज्यों में यह दर 60-80 लीटर प्रति मिनट है ।

सवाल : स्थिति कब तक सामान्य होने की उम्मीद है ?

जवाब : ऑक्‍सीजन के उत्पादन एवं आपूर्ति को सामान्य बनाने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं । ऑक्‍सीजन आज वक्त की जरूरत है और जरूरी है कि ऑक्सीजन का सोच समझकर इस्तेमाल किया जाए।

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Web Title: In some states, differences in active cases and pattern of oxygen consumption led to imbalance: Saket Tiku

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