केरल के इडुक्की में स्थित एरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान जो, निलगिरी तहर के लिए जाना है, इसे फिर से खोल दिया गया है। वाइल्डलाइफ वार्डन आर लक्ष्मी ने बताया कि ये उद्यान हर बार मार्च में खोला जाता था लेकिन इस बार कोरोना वायरस महामारी के कारण नहीं खोला गया जिसके कारण लगभग 4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लेकिन अब इस उद्यान को फिर से जनता के लिए खोल दिया गया है।
नीलगिरि तहर, तमिल नाडु और केरल राज्यों में नीलगिरि पर्वत और पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग में रहने वाला जंगली प्राणी है। जो भेड़ बकरी से मिलता जुलता है। इसे स्थानीय बोल-चाल में नीलगिरि साकिन या केवल साकिन के नाम से भी जाना जाता है। इसकी संख्या बहुत ही कम है। एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान पक्षियों की लगभग 132 प्रजातियों का घर है। उनमें से कुछ ब्लैक एंड ऑरेंज फ्लाइकैचर, नीलगिरि पिपिट, व्हाइट बेल्ड शॉर्ट-विंग और नीलगिरी वुड पिजन जैसे एंडेमिक्स हैं।
इस उद्यान में शुष्क पर्णपाती वन, नम पर्णपाती जंगल और झाड़ियों की कई प्रजातियां हैं। उद्यान के उत्तर में काबिनी नदी और दक्षिण में मोयर नदी है जबकि नुगु नदी उद्यान के बीच से गुजरती है। यह गौर (एक प्रकार का बैल), सांभर, चीतल, पिसूरी (mouse deer), चार सींगों वाला काला हिरण, जंगली कुत्ते, जंगली सूअर,सियार, स्लोथ बीयर, तेंदुआ, मालाबार गिलहरी, साही और काले–रोएं वाले खरहे का प्राकृतिक निवास स्थान है। जंगली मुर्गे और हरे कबूतर जैसे पक्षी भी यहां पाए जाते हैं।