कश्मीर में जलवायु परिवर्तन से हुआ किसानों को नुकसान, 25 फीसदी धान की भूमि पर नहीं लगाई जा सकी फसल

By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 2, 2022 07:42 PM2022-10-02T19:42:34+5:302022-10-02T19:42:34+5:30

जून महीने में इस बार गर्मी ने कश्मीर में अपना रौद्र रूप पहली बार दिखाया था। नतीजा सबके सामने था। प्रभावित इलाकों के किसानों को फसलें बोने के लिए पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा तो वे अपने खेतों में धान ही नहीं बो पाए। 

In Kashmir, farmers suffered losses due to climate change, crop could not be planted on 25 percent paddy land | कश्मीर में जलवायु परिवर्तन से हुआ किसानों को नुकसान, 25 फीसदी धान की भूमि पर नहीं लगाई जा सकी फसल

कश्मीर में जलवायु परिवर्तन से हुआ किसानों को नुकसान, 25 फीसदी धान की भूमि पर नहीं लगाई जा सकी फसल

Highlightsजून महीने में इस बार गर्मी ने कश्मीर में अपना रौद्र रूप पहली बार दिखाया थाप्रभावित इलाकों के किसानों को फसलें बोने के लिए पानी की किल्लत का सामना करना पड़ासर्वेक्षण में जुटे अधिकारियों के मुताबिक, पानी का संकट धान की फसल बोने के वक्त सामने आया

जम्मू: कश्मीर में इस बार जलवायु परिवर्तन ने अपना प्रभाव दिखाया है। दूसरे शब्दों में कहें तो मौसम में परिवर्तन के कारण 25 परसेंट धान योग्य भूमि की वाट इसलिए लग गई क्योंकि उसमें फसल ही नहीं लगाई जा सकी है। 

अधिकारियों के मुताबिक, जून महीने में इस बार गर्मी ने कश्मीर में अपना रौद्र रूप पहली बार दिखाया था। नतीजा सबके सामने था। प्रभावित इलाकों के किसानों को फसलें बोने के लिए पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा तो वे अपने खेतों में धान ही नहीं बो पाए। 

सर्वेक्षण में जुटे अधिकारियों के मुताबिक, पानी का संकट धान की फसल बोने के वक्त सामने आया। यह पहली बार हुआ है और कृषि विज्ञानियों की राय थी कि अगर मौसम का ट्रेंड अगले वर्षों में ऐसा ही रहा तो कश्मीर के किसानों को अन्य फसलों को बोने पर विचार करना होगा। उनका मत था कि पानी की कमी को देखते हुए अब उन्हें ऐसी फसलें बोने की सलाह दी जा रही है जिन्हें कम मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है।

कृषि क्षेत्र के जुड़े मौसम विज्ञानियों व अधिकारियों का कहना था कि मौसम विभाग आने वाले वर्षों में कश्मीर में भी मौसम में जबरदस्त बदलाव की चेतावनी दे रहा है जिसका नतीजा गर्मियों में पानी की कमी और कई बार सर्दियों में बहुत बार बर्फबारी की कमी के रूप में सामने आ रहा है और आता रहेगा। 

उनका कहना था कि अतीत में भी प्रत्येक 3 से 4 सालों के बाद कश्मीर अपने हिस्से की बर्फ के लिए तरसता रहा है और अब वह अपने हिस्से के पानी के लिए तरसने लगा है।

Web Title: In Kashmir, farmers suffered losses due to climate change, crop could not be planted on 25 percent paddy land

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