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कोविड-19 के खिलाफ लड़ाईः स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा- हमें गांव को कोरोना से बचाना होगा, नहीं तो...

By भाषा | Updated: May 8, 2020 20:21 IST

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के अध्यक्ष प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि कोरोना वायरस को शहरों से गांवों में फैलने से रोकना अहम होगा।

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ठळक मुद्देस्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोविड-19 से देश में मरने वालों की संख्या शुक्रवार को 1,886 तक पहुंच गई जबकि कुल संक्रमितों की संख्या 56,342 तक पहुंच गई है।भारत में संक्रमण दर कम होने के संदर्भ में रेड्डी ने बताया कि निश्चित रूप से हमारी आबादी का आयुवर्ग महत्वपूर्ण है।

बेंगलुरु: भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को शहरों से गांवों में जहां अधिकतर आबादी रहती है, फैलने से रोकना कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अहम होगा। यह बात शु्क्रवार को प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कही। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के अध्यक्ष प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि लोग सामान्य जीवन में लौटने लगे हैं लेकिन उन्हें वायरस को फैलने से रोकने के लिए सामाजिक दूरी का अनुपालन जारी रखना चाहिए, मास्क पहनना चाहिए और हाथों की सफाई का ख्याल रखना चाहिए। 

उन्होंने कहा, ‘‘एक महत्वपूर्ण चीज जिसकी हमें कोशिश करनी चाहिए वह यह है कि शहरों से गांवों में, संक्रमित से गैर संक्रमित स्थानों पर पलायन यथासंभव कम हो, कम से कम तब तक जब तक कि स्थिति नियंत्रण में नहीं आ जाती क्योंकि किसी भी राज्य में अभी ग्रामीण इलाके सबसे अधिक सुरक्षित हैं।’’ उल्लेखनीय है कि पीएचएफआई देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य में शिक्षा, प्रशिक्षण, शोध, नीति विकास, स्वास्थ्य संप्रेषण के जरिये क्षमता विकास करता है। 

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के हृदय रोग विभाग के पूर्व प्रमुख रेड्डी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि ग्रामीण इलाकों में संक्रमण फैलने की कम संभावना है क्योंकि उनकी आवाजाही अब भी आमतौर पर कम होती है। उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीण क्षेत्रों में केवल आवश्यक सामान की आपूर्ति और जरूरी होने पर ही लोगों को जाने की अनुमति देकर हम कोविड-19 की महामारी को नियंत्रित कर सकते हैं क्योंकि वे हमारी बड़ी पूंजी है, हमारी दो तिहाई आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और अगर हम उनकी रक्षा करतें हैं तो हम अधिक सुरक्षित होंगे।’’ 

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोविड-19 से देश में मरने वालों की संख्या शुक्रवार को 1,886 तक पहुंच गई जबकि कुल संक्रमितों की संख्या 56,342 तक पहुंच गई है। रेड्डी ने कहा कि जब आप जांच बढ़ाएंगे तो निश्चित रूप से अधिक मामले आएंगे। हमें नये मामलों को जांच प्रतिशत में देखना चाहिए। वे आंकड़े है जिस पर नजर रखनी चाहिए। कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध में शामिल और हृदय रोग एवं महामारी के मामलों में प्रशिक्षित रेड्डी ने कहा कि यह सच है कि कोरोना वायरस से संक्रमण की पुष्टि होने के मामलों में वृद्धि होगी और वायरस फैलेगा। 

उन्होंने कहा, 'लेकिन हमें देखने की जरूरत है कि कितने गंभीर मामले हैं। 85 प्रतिशत मामलों में हल्के लक्षण आते हैं या कोई लक्षण नहीं होता तब हमें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं क्योंकि अंतत: वायरस फैलेगा। हम अचानक इसे नहीं रोक सकते लेकिन सवाल है कि यह कितनी तेजी से फैलेगा और कितना गंभीरता से प्रभावित करेगा।' 

रेड्डी ने कहा कि भारत में कोविड-19 से मौत की दर 1.3 व्यक्ति प्रति दस लाख आबादी है जबकि अन्य देशों में जैसे अमेरिका (26 व्यक्ति प्रति दस लाख आबादी), ब्रिटेन (449 व्यक्ति प्रति दस लाख आबादी) और बेल्जियम (726 व्यक्ति प्रति दस लाख आबादी) में कही अधिक है। इसका मतलब की भारत में इसका प्रसार बहुत धीमा है चाहे कोई भी कारण हो। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में महामारी विषय पर अनुबद्ध प्रोफेसर रेड्डी ने कहा, ‘‘इसलिए हमें नजर बनाए रखने की जरूरत है लेकिन भयभीत नहीं होना चाहिए। 

वह एमोरी विश्वविद्यालय के संबद्ध रोलिंस जन स्वास्थ्य विद्यालय में अनुबद्ध प्रोफेसर और सिडनी विश्वविद्यालय में मेडिसिन विषय के मानद प्रोफेसर हैं। भारत में संक्रमण दर कम होने के संदर्भ में रेड्डी ने बताया कि निश्चित रूप से हमारी आबादी का आयुवर्ग महत्वपूर्ण है। हमारी आबादी अधिक युवा है। कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों का आकलन है कि जून-जुलाई महीने में भारत में संक्रमण अपने चरम पर होगा। 

इस पर रेड्डी ने कहा, हम नहीं जानते क्योंकि विचार है कि जून-जुलाई में उच्च तापमान और अधिक आद्रता की वजह से अन्य कोरोना वायरस कम सक्रिय हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोरोना वायरस इसी तरह का व्यवहार करता है तो यह कम प्रभावी होने लगेगा लेकिक तब हमें सर्दियों का इंतजार करना होगा जब यह दोबारा सक्रिय होगा। ऐसे में हमें इंतजार करना चाहिए। हम अभी निश्चित नहीं है।

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