(गुंजन शर्मा)
रूड़की, 25 नवंबर अंग्रेजों के शासन के समय 1847 में पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में अपनी यात्रा शुरू करने वाले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने बृहस्पतिवार को अपनी स्थापना के 175 साल पूरे किये।
संस्थान ने 175वें स्थापना दिवस पर दो प्रमुख परियोजनाएं शुरू कीं। इसमें राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग अभियान के तौर पर 1.3 पेटा एफएलओपीएस सुपरकंप्यूटिंग इकाई और एससीएडीए-आधारित स्मार्ट ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली, जो परिवहन, पानी और कचरे के लिए एकीकृत निगरानी विश्लेषण और नियंत्रण केंद्र स्थापित करेगा।
संस्थान ने आईआईटी रुड़की के आसपास स्थित उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) को जोड़कर अपनी अनुसंधान पहल शुरू किया। इसके तहत स्कूली बच्चों को आईआईटी रुड़की आने के लिए आमंत्रित करके ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान को बढ़ाया दिया जाएगा। उनके साथ आदान प्रदान किये जाने वाले विषयों में यह भी शामिल होगा कि भविष्य कैसा हो सकता है और वे करियर की किन संभावनाओं का पता लगा सकते हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘‘आईआईटी रुड़की न केवल अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, बल्कि समाज और राष्ट्र के व्यापक हित के लिए अकादमिक-उद्योग संबंधों को भी बढ़ावा दिया है। नवीनतम एनआईआरएफ रैंकिंग में, आईआईटी रुड़की ने अपनी समग्र रैंक में सुधार किया है और नौवें से सातवें स्थान पर आ गया है। वास्तुकला श्रेणी में, इस वर्ष आईआईटी रुड़की को देश में पहला स्थान मिला है।’’
आईआईटी रुड़की निदेशक अजीत के चतुर्वेदी ने उत्तराखंड और रुड़की के 200 किलोमीटर के दायरे में पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ स्थित सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को ज्ञान निर्माण और अनुसंधान एवं विकास संबंधित गतिविधियां साझा करने के लिए हाथ मिलाने का आह्वान किया।
इस संस्थान को पहले रुड़की कॉलेज के रूप में जाना जाता था। संस्थान को 1847 में अंग्रेजों के शासन काल में पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में स्थापित किया गया था। नवंबर 1949 में, इसे स्वतंत्र भारत के पहले इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था।
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