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IIT खड़गपुर ने रिसर्च में किया दावा, उत्तर और पूर्वी भारत में तेजी से गिर रहा है भूजल का स्तर

By भाषा | Updated: April 10, 2019 20:29 IST

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शोधकर्ताओं ने पाया है कि भारत के उत्तरी और पूर्वी राज्यों में 2005 और 2013 के बीच उपयोग होने वाले भूजल (यूजीडब्ल्यूएस) में तेजी से गिरावट देखी गई है जिससे गंभीर सूखे, खाद्य संकट और लाखों लोगों के लिए पेयजल की कमी का खतरा बढ़ गया है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर, पश्चिम बंगाल और अथाबास्का विश्वविद्यालय, कनाडा की एक टीम ने पूरे भारत में राज्य स्तर पर इस्तेमाल होने लायक भूजल भंडारण के पहले आकलन को सीटू और उपग्रह-आधारित मापन का इस्तेमाल करके तैयार किया है।

देशभर में सीटू निगरानी आधारित 3,907 कुओं से भूजल स्तर के डाटा का उपयोग किया गया था और कुल यूजीडब्ल्यूएस का अनुमान 2005 से 2013 के बीच लगाया गया। इस अनुमान में पाया गया कि असम, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में इस्तेमाल होने योग्य भूजल के स्तर में तेजी से गिरावट देखी गई। वहीं दूसरी ओर आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ जैसे दक्षिणी और पश्चिमी भारतीय राज्यों में उपयोग होने योग्य भूजल भंडारण को फिर से भरे जाने की प्रवृत्ति देखी गई।

आईआईटी खड़गपुर में जलविज्ञान, भूविज्ञान और भूभौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि इससे पहले सरकारी एजेंसियों द्वारा किए गए कार्य केवल कुल भूजल का अनुमान लगाने में सक्षम रहे हैं, जिसका केवल एक हिस्सा मानव उद्देश्यों के लिए उपयोग करने योग्य है।

मुखर्जी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि ज्यादातर उत्तरी भागों में 2005-2013 के दौरान उपयोग योग्य भूजल भंडारण में तेजी से कमी आने का अनुमान है। भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। यह प्रति वर्ष 230 किमी3 भूजल का अनुमानित उपयोग करता है जो विश्व का कुल एक चौथाई हिस्सा है।

मुखर्जी ने कहा कि गैर-मानसूनी महीनों के दौरान सिंचाई के पानी की आपूर्ति के लिए भूजल एक आवश्यक प्राकृतिक संसाधन है और इसमें बड़े पैमाने पर गिरावट से भविष्य में खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं।

मुखर्जी ने कहा कि यूजीडब्ल्यूएस में तेजी से कमी खाद्य उत्पादन और पेयजल की उपलब्धता में गिरावट को बढ़ायेगी जो संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों 2030 को प्राप्त करने के लिए दो प्रमुख लक्ष्य हैं। 

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