लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कश्मीर घाटी में पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह की दो आतंकवादियों के साथ गिरफ्तारी को लेकर मंगलवार कहा कि पुलवामा हमले की नए सिरे से जांच की जरूरत है। चौधरी ने ट्वीट कर कहा, ''अगर इत्तेफाक से देविंदर सिंह का नाम देविंदर खान होता तो आरएसएस की ट्रोल रेजीमेंट की प्रतिक्रिया ज्यादा तीखी और मुखर होती। वर्ण, मत और संप्रदाय से इतर देश के दुश्मनों की निंदा होनी चाहिए।'' अधीर रंजन चौधरी के इस बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है। जिसके बाद अपने बयान पर मचे बवाल के बीच कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने फिर से बयान दिया है।
उन्होंने कहा है, 'बीजेपी नेता कह रहे हैं कि हमें यूपी, कर्नाटक की मिसाल का पालन करना चाहिए। इन राज्यो में पुलिस प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने फायरिंग की जिसमें लोग मारे गए। इन्हीं कारणों से मैं यह कहने पर विवश हुआ कि क्यों आरएसएस-बीजेपी देविंदर सिंह मुद्दे पर चुप है। क्या देविंदर खान नाम होने पर भी ये ऐसे ही चुप रहते।'
अधीर रंजन चौधरी ने यह भी दावा किया ,''घाटी में इस कमजोरी का खुलासा हुआ है वो हमें परेशान करने वाली है।'' कांग्रेस नेता ने कहा, ''अब सवाल यह पैदा होता है कि पुलवामा हमले के पीछे के असली गुनाहगार कौन हैं? इस मामले पर नए सिरे से जांच की जरूरत है।''
अधीर रंजन चौधरी के बयान पर बीजेपी ने क्या कहा?
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है, इस पूरी प्रक्रिया में कांग्रेस के अधीर रंजन ने आव देखा न ताव और मिनटों के अंदर धर्म ढूंढ लिया। आतंकवाद पर धर्म की राजनीति करना कांग्रेस की संस्कृति है।
संबित पात्रा ने कहा, जम्मू-कश्मीर का एक डीएसपी आतंकी गतिविधि में शामिल होने के कारण गिरफ्तार हुआ है। इस पूरे प्रकरण के बाद कांग्रेस ने वहीं किया है, जिसमें कांग्रेस निपुण है, सक्षम है, और वह है भारत पर हमला और पाकिस्तान को बचाने की साजिश।
जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह को सोमवार (13 जनवरी) को निलंबित कर दिया गया। उनके खिलाफ यह आरोप है कि उन्होंने तीन आतंकवादियों को बादामी बाग छावनी इलाके में सेना की 16वीं कोर के मुख्यालय के पास अपने आवास पर आश्रय दिया था। सिंह के साथ ही उन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया।