ICMR ने कोरोना महामारी के नवंबर में 'चरम' पर रहने संबंधी रिसर्च को बताया भ्रामक, कही ये बात
By स्वाति सिंह | Published: June 15, 2020 09:44 PM2020-06-15T21:44:42+5:302020-06-15T21:51:41+5:30
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ( ICMR) द्वारा गठित ''ऑपरेशंस रिसर्च ग्रुप'' ने दावा किया है कि नवंबर के मध्य में भारत में कोरोना वायरस अपने चरम पर होगा। हालांकि ICMR ने उस रिसर्च को भ्रामक बताया है।
नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ( ICMR) ने उस रिसर्च को भ्रामक बताया है जिसमें दावा किया है कि नवंबर के मध्य में भारत में कोरोना वायरस अपने चरम पर होगा। ICMR ने कहा है कि यह दावा मामले की आधिकारिक स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता। ICMR ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'आईसीएमआर को इस अध्ययन का श्रेय देने वाली खबरें भ्रामक हैं। अध्ययन आईसीएमआर ने नहीं किया है और आईसीएमआर की आधिकारिक स्थिति को नहीं दर्शाता है।'
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह अध्ययन ICMR की ओर से गठित एक ग्रुप के रिसर्चर्स द्वारा किया गया था। इस रिसर्च में कहा गया है कि लॉकडाउन ने संक्रमण के मामलों में 69 से 97 प्रतिशत तक कमी कर दी, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली को संसाधन जुटाने एवं बुनियादी ढांचा मजबूत करने में मदद मिली। लॉकडाउन के बाद जन स्वास्थ्य उपायों को बढ़ाये जाने और इसके 60 प्रतिशत कारगर रहने की स्थिति में महामारी नवंबर के प्रथम सप्ताह तक अपने चरम पर पहुंच सकती है। इसके बाद 5.4 महीनों के लिए आइसोलेशन बेड, 4.6 महीनों के लिए आईसीयू बेड और 3.9 महीनों के लिए वेंटिलेटर कम पड़ जाएंगे। यह अनुमान लगाया गया है।
The news reports attributing this study to ICMR are misleading. This refers to a non peer reviewed modelling, not carried out by ICMR and does not reflect the official position of ICMR. pic.twitter.com/OJQq2uYdlM
— ICMR (@ICMRDELHI) June 15, 2020
ICMR द्वारा गठित ''ऑपरेशंस रिसर्च ग्रुप'' के रिसर्च में और क्या-क्या दावा किया गया?
- रिसर्च करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा कि बुनियादी ढांचा बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा सतत कदम उठाए जाने और विभिन्न क्षेत्रों में संक्रमण की दर अलग-अलग रहने के कारण महामारी के प्रभावों को घटाया जा सकता है। यदि जन स्वास्थ्य उपायों के कवरेज को बढ़ा कर 80 फीसदी कर दिया जाता है, तो महामारी के प्रभाव में कमी लाई जा सकती है। रिसर्च में कहा गया, ''लॉकडाउन महामारी के चरम पर पहुंचने में देर करेगा और स्वास्थ्य प्रणाली को जांच, मामलों को पृथक करने, उपचार और संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने के लिए जरूरी समय प्रदान करेगा। ये कदम कोविड-19 का टीका विकसित होने तक भारत में महामारी का प्रभाव घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगा।
-भारत में कोविड-19 महामारी के मॉडल आधारित विश्लेषण के मुताबिक लॉकडाउन की अवधि के दौरान जांच, उपचार और रोगियों को पृथक रखने के लिए अतिरिक्त क्षमता तैयार करने के साथ चरम पर मामलों की संख्या 70 फीसदी तक कम हो जाएगी और संक्रमण के (बढ़ रहे) मामले करीब 27 प्रतिशत घट जाएंगे।
भारत में लगातार बढ़ रहे हैं कोरोना वायरस संक्रमण के मामले
भारत में लगातार तीसरे दिन कोरोना वायरस संक्रमण के 11,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं और सोमवार को संक्रमण के मामले बढ़कर 3,32,424 हो गए । संक्रमण से 325 और लोगों की मौत के साथ ही मरने वालों की संख्या 9,520 पर पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सुबह अद्यतन किए गए आंकडों के मुताबिक देश में अभी 1,53,106 लोगों कर इलाज चल रहा है वहीं 1,69,797 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं और एक मरीज विदेश चला गया है। एक अधिकारी ने बताया कि इस हिसाब से 51.07 फीसद मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं।