IAS officer Santosh Verma: इंदौर हाईकोर्ट की बेंच ने आईएएस संतोष वर्मा पर फर्जी कोर्ट आदेश बनाने के पुराने मामले में पुलिस को जांच करने की प्रशासनिक मंजूरी दे दी है, जिससे उनकी पदोन्नति पर खतरा मंडराने लगा है। विशेष न्यायाधीश विजयेंद्र सिंह रावत के नाम से 6 अक्टूबर 2020 का फर्जी आदेश बनवाने का आरोप है, जबकि उस दिन जज छुट्टी पर थे और बाद में उन्हें निलंबित कर शहडोल के बुराड़ में स्थानांतरित किया गया।
एमजी रोड थाने में 27 जून 2021 को धारा 120बी, 420, 467, 468, 471, 472 के तहत अज्ञात आरोपी पर मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें जिला अभियोजन अधिकारी अकरम शेख ने फर्जी स्कैन कॉपी पेश की थी।यह फर्जी आदेश 2016 के लसूडिया थाने के उस मामले से जुड़ा है, जिसमें एक महिला ने संतोष वर्मा पर शादी का झूठा वादा कर धोखा देने, धार के रिद्धिनाथ मंदिर में गुप्त विवाह करने, पहले से शादीशुदा होने का खुलासा होने पर मारपीट करने और जबरन दो अबॉर्शन कराने का आरोप लगाया था।
महिला ने 18 नवंबर 2016 को धारा 493, 494, 495, 323, 294, 506 के तहत एफआईआर दर्ज कराई, जो बालाघाट, सीहोर, राजगढ़, उज्जैन में पोस्टिंग के दौरान उनके साथ रहने से जुड़ी थी। वर्मा ने आईएएस कैडर में प्रमोशन के लिए इस मामले में बरी होने का दिखाने को फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल किए, जिसके चलते 2021 में इंदौर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया था।
संतोष वर्मा का विवादों से पुराना नाता है; हाल ही में आरक्षण पर ब्राह्मण बेटियों के खिलाफ विवादित बयान देकर वे फिर चर्चा में आए, जिसके बाद निलंबन और शो-कॉज नोटिस जारी हुआ। राज्य सरकार ने उनके बयान को सिविल सर्विस कंडक्ट रूल्स का उल्लंघन माना, जबकि ब्राह्मण संगठनों ने एफआईआर की मांग की।
अब हाईकोर्ट के इस फैसले से पुराने फर्जीवाड़े की जांच तेज हो गई है, जिसमें जज रावत ने अग्रिम जमानत की याचिका भी दायर की है। वर्मा की आईएएस स्थिति पर अब केंद्र और राज्य स्तर पर नजरें टिक गई हैं।