UNSC में पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत तैयार, 15 सदस्य देशों को देगा डोजियर, 13 मार्च को चीन पर रहेगी सबकी नज़र
By संतोष ठाकुर | Published: March 6, 2019 09:17 AM2019-03-06T09:17:11+5:302019-03-06T09:39:49+5:30
अब भारत न केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, यूएनएससी के सभी 15 देशों, बल्कि दुनिया के सभी देशों को पाकिस्तान के आतंकवाद और आतंकवाद को प्राश्रय देने के सबूत सौंपेगा.
पुलवामा हमले के बाद से पाकिस्तान अपने ही बुने जाल में कुछ ऐसा फंस गया है कि कोई भी उसकी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ा रहा है. सऊदी अरब, चीन से लेकर उसके सभी मित्र देश पाकिस्तान को पहले घर में मौजूद आतंकी शिवरों और आतंकवादियों पर कार्रवाई करने की नसीहत दे रहे हैं.
भारत की कूटनीतिक कोशिशों का नतीजा मंगलवार को तब दिखा जब पाकिस्तानी गृह मंत्रालय ने साल 2008 के मुंबई आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार हाफिज सईद के आंतकी संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत पर प्रतिबंध लगा दिया।
भारत के साथ उपजे तनाव को कम करने के लिए पाकिस्तान तकरीबन सभी देशों से मध्यस्ता की गुहार लगा चुका है. लेकिन, उसे सभी से सिर्फ दुत्कार ही मिली है. वहीं पाकिस्तान और उसकी आतंकवादपरस्त छवि को भारत कई मौकों पर बेनकाब कर चुका है.
अब भारत न केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, यूएनएससी के सभी 15 देशों, बल्कि दुनिया के सभी देशों को पाकिस्तान के आतंकवाद और आतंकवाद को प्राश्रय देने के सबूत सौंपेगा. पाक के खिलाफ बनाए गए डोजियर की प्रति वह सभी को देगा, ताकि वे अपने क्षेत्र के यूएनएससी सदस्य देश पर पाक की करतूत को लेकर दबाव बना सकें. ताकि 13 मार्च को जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव आए तो दुनिया के सभी देश एकमत होकर इस पर सहमति प्रदान करें.
मसूद अज़हर पर चीन के रुख से आश्वास्त नहीं!
मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के खिलाफ यूएनएससी में अब तक तीन मर्तबा अड़ंगा लगा चुके चीन के रुख को लेकर भारत फिलहाल आश्वासत नहीं है. लेकिन माना जा रहा है कि वह भी अब पाकिस्तान का साथ नहीं देना चाहता. क्योंकि उसे डर है कि कहीं उसकी छवि भी आतंक को समर्थन देने वाली न बन जाए.
यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक व्यक्तव्य में जैश-ए-मोहम्मद को आतंकी संगठन करार देते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है और उस पर अन्य सदस्य देशों के साथ ही चीन ने भी हस्ताक्षर किए हैं. छुटकारा पाना चाहता है एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन स्वयं वीगर आतंकवाद से पीड़ित है और वह जानता है कि उसके यहां के आंतकवादियों को भी पाकिस्तान से ही मदद मिलती है.
ऐसे में वह भारत के प्रस्ताव के बहाने स्वयं भी जैश-ए-मोहम्मद को मदद देने की समस्या से छुटकारा पाना चाहता है. ईरान, अफगानिस्तान के साथ अन्य देशों ने भी चीन पर दबाव बढ़ाया है.