"मैं इस्तीफा दे दूंगा अगर एनआरसी के बिना किसी व्यक्ति को सीएए से नागरिकता मिली तो", हिमंत बिस्वा सरमा ने सीएए पर भड़के विरोधी के बीच कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 12, 2024 02:46 PM2024-03-12T14:46:26+5:302024-03-12T15:01:26+5:30
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अगर असम में एक भी व्यक्ति, जिसने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया और उसे सीएए के तहत नागरिका मिली तो वह मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देंगे।
गुवाहाटी:असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने केंद्र सरकार द्वारा सीएए नियमों को अधिसूचित करने के एक दिन बाद घोषणा की कि अगर असम में एक भी व्यक्ति, जिसने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के लिए आवेदन नहीं किया और उसे सीएए के तहत नागरिका मिली तो वह मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देंगे।
समाचार वेबसाइट इंडिया टुडे के अनुसार मुख्यमंत्री सरमा ने शिवसागर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ''मैं असम का बेटा हूं और अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले किसी भी एक व्यक्ति को नागरिकता मिलती है, तो मैं फौरन मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दूंगा।''
सीएम हिमंत का यह बयान सीएए लागू होने के बाद पूरे असम में हो रहे व्यापक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर आया है। विपक्षी दल बीते सोमवार से सीएए लागू करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं। इस कानून का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है।
सीएए के राज्यव्यापी विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री हिमंत ने कहा कि सीएए कोई नया कानून नहीं है। इसे पहले ही बनाया गया था और उसमें सभी लोगों से दिये पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना है। अब इस मामले में तूल देने, विरोध करने या सड़कों पर उतरकर माहौल खराब करने का कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा, ''पोर्टल पर डेटा अब बोलेगा और उसके बाद स्पष्ट हो जाएगा कि सीएए का विरोध करने वालों के दावे तथ्यात्मक रूप से सही हैं या नहीं।''
इस बीच सीएए लागू होने पर बड़े विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद असम पुलिस ने विपक्षी दलों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में पार्टियों को हड़ताल वापस लेने और राज्य में शांति बनाए रखने में सहयोग करने का "आदेश" दिया गया है।
इसके साथ पुलिस की ओर से चेतावनी दी गई कि यदि आंदोलनकारी पुलिस के आदेशों का पालन नहीं करते हैं या उसकी अवहेलना करते हैं तो उनके खिलाफ "कानूनी कार्रवाई" की जाएगी।
मालूम हो कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कुछ दिन पहले सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन के लिए नियमों की अधिसूचना की घोषणा की है।
मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए और 2019 में संसद द्वारा पारित सीएए नियमों का उद्देश्य 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।