पति ने पत्नी को ‘कामधेनु गाय’ समझा, मानसिक क्रूरता के आधार पर दंपति को तलाक की मंजूरी, दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला

By भाषा | Published: November 7, 2021 09:26 PM2021-11-07T21:26:02+5:302021-11-07T21:28:12+5:30

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि बिना किसी भावनात्मक संबंध के पति के भौतिकवादी रवैये से पत्नी को मानसिक पीड़ा और आघात पहुंचा होगा जो उसके साथ क्रूरता दिखाने के लिए पर्याप्त है।

​​​​​​​Husband considers wife 'Kamdhenu cow'grants divorce couple mental cruelty Delhi High Court verdict | पति ने पत्नी को ‘कामधेनु गाय’ समझा, मानसिक क्रूरता के आधार पर दंपति को तलाक की मंजूरी, दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला

पत्नी ने दिल्ली पुलिस में नौकरी हासिल कर ली तब व्यक्ति का रुख बदल गया।

Highlightsहर विवाहित महिला की इच्छा होती है कि वह एक परिवार शुरू करे।शादी कायम रखने में कोई रुचि नहीं है, बल्कि उसे केवल पत्नी की आमदनी में दिलचस्पी है।सका शारीरिक शोषण करता है तथा पैसे की मांग करता है।

नई दिल्लीःदिल्ली उच्च न्यायालय ने पति द्वारा मानसिक क्रूरता के आधार पर एक दंपति को तलाक की मंजूरी दे दी। अदालत ने कहा कि व्यक्ति अपनी पत्नी को ‘‘कामधेनु गाय’’ समझता है और दिल्ली पुलिस में नौकरी मिलने के बाद ही पत्नी के साथ रहने में उसकी दिलचस्पी बढ़ी।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि बिना किसी भावनात्मक संबंध के पति के भौतिकवादी रवैये से पत्नी को मानसिक पीड़ा और आघात पहुंचा होगा जो उसके साथ क्रूरता दिखाने के लिए पर्याप्त है। पीठ ने भी कहा कि आम तौर पर हर विवाहित महिला की इच्छा होती है कि वह एक परिवार शुरू करे, हालांकि, वर्तमान मामले में प्रतीत होता है कि पति को ‘‘शादी कायम रखने में कोई रुचि नहीं है, बल्कि उसे केवल पत्नी की आमदनी में दिलचस्पी है।’’

उच्च न्यायालय ने महिला की तलाक संबंधी याचिका को खारिज करने के पारिवारिक अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और हिंदू विवाह कानूत के तहत विवाह को भंग कर दिया। महिला ने इस आधार पर तलाक मांगा था कि पति बेरोजगार है, शराबी है और उसका शारीरिक शोषण करता है तथा पैसे की मांग करता है।

वर्तमान मामले में दोनों पक्ष गरीब पृष्ठभूमि के थे और विवाह तब संपन्न हुआ जब पति और पत्नी क्रमशः 19 वर्ष और 13 वर्ष के थे। व्यक्ति 2005 में वयस्क होने के बाद भी पत्नी को नवंबर 2014 तक ससुराल नहीं ले गया लेकिन जब पत्नी ने दिल्ली पुलिस में नौकरी हासिल कर ली तब व्यक्ति का रुख बदल गया।

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी ने अपीलकर्ता(पत्नी) को ‘कामधेनु गाय’ समझा और दिल्ली पुलिस में नौकरी मिलने के बाद ही उसमें उसकी दिलचस्पी जगी। प्रतिवादी का बिना किसी भावनात्मक संबंधों के इस तरह का बेशर्मी भरा भौतिकवादी रवैया अपने आप में मानसिक पीड़ा और आघात का कारण बनता है, जो उसके साथ क्रूरता साबित करने के लिए पर्याप्त है।’’

पति ने इस आधार पर विवाह समाप्त किए जाने का विरोध किया कि उसने महिला की शिक्षा का खर्चा उठाया जिससे उसने नौकरी हासिल की। अदालत ने कहा कि चूंकि पत्नी 2014 तक अपने माता-पिता के साथ रह रही थी, इसलिए ‘‘जाहिर है कि उसके रहने और पालन-पोषण का सारा खर्च उसके माता-पिता ने वहन किया होगा’’ और इसके विपरीत दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। 

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