रोमिला थापर विवाद पर HRD मंत्रालय की सफाई, किसी शिक्षाविद के प्रोफेसर एमेरिटस दर्जे को समाप्त करने की पहल नहीं
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 3, 2019 07:48 AM2019-09-03T07:48:03+5:302019-09-03T07:48:03+5:30
इतिहासकार रोमिला थापर से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने उनका बायोडेटा (CV) मांगा था। जिसको लेकर काफी विवाद हो गया है। रोमिला थापर से सीवी मांगे जाने को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। शिक्षकों और इतिहासकारों एक तबके का कहना है कि जेएनयू ने ऐसा करके प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर का अपमान किया है।
मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन की ओर से इतिहासकार रोमिला थापर समेत किसी भी शिक्षाविद के 'प्रोफेसर एमेरिटस' को समाप्त करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है.
मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण ऐसे समय दिया है जब जेएनयू के ऐसे पदधारक शिक्षाविदों से बॉयोडाटा मांगने के फैसले पर विवाद शुरू हो गया है. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने जुलाई में थापर को पत्र लिखकर बॉयोडाटा देने को कहा था ताकि वह इस बात का मूल्यांकन कर सकें कि 'प्रोफेसर एमेरिटस' के तौर पर उनकी सेवा जारी रखी जाए या नहीं.
थापर के अलावा वैज्ञानिक आर. राजारमण, जेएनयू के पूर्व कुलपति आशीष दत्ता सहित 12 एमेरिटस प्रोफेसरों को ऐसा पत्र प्राप्त हुआ जिन्होंने 75 वर्ष की उम्र पार कर ली. फिलहाल जेएनयू में ऐसे पदधारक 25 शिक्षाविद हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव आर. सुब्रमण्यम ने किया, ''हमने जेएनयू में प्रोफेसर एमेरिटस दर्जे से संबंधित विवाद के बारे में विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ चर्चा की है. किसी को भी प्रोफेसर एमेरिटस के दर्जे से वंचित करने की कोई पहल नहीं की गई है.'' उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय केवल अध्यादेश के प्रावधानों का पालन कर रहा है.
जेएनयू शिक्षक संघ ने एक दिन पहले थापर से व्यक्तिगत माफी मांगने की मांग की थी. जेएनयू ने अध्यादेश का हवाला देकर कहा है कि विश्वविद्यालय के लिए यह जरूरी है, वह उन सभी को पत्र लिखे जो 75 साल की उम्र पार कर चुके हैं ताकि उनकी उपलब्धता और विश्वविद्यालय के साथ उनके संबंध को जारी रखने की उनकी इच्छा का पता चल सके. यह पत्र उनकी सेवा को खत्म करने के लिए नहीं लिखा गया है.