पीपीएल को लाइसेंस शुल्क दिए बिना होटल, पब को गीत बजाने से रोका, बंबई उच्च न्यायालय ने कहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 22, 2022 08:31 PM2022-12-22T20:31:30+5:302022-12-22T20:33:50+5:30

वर्ष 1941 में स्थापित ‘पीपीएल इंडिया’ स्वयं को सार्वजनिक तौर पर संगीत इस्तेमाल करने के अधिकार संबंधी लाइसेंस रखने वाला संगठन बताती है। उसके पास हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में 340 संगीत लेबल के 25 लाख गीतों के लाइसेंस हैं।

Hotels, Pubs Stopped Playing Songs Without Paying License Fee Ppl Says Bombay High Court Christmas and New Year's Eve | पीपीएल को लाइसेंस शुल्क दिए बिना होटल, पब को गीत बजाने से रोका, बंबई उच्च न्यायालय ने कहा

पीपीएल से अनुमति लेने और शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता है, जिसका लाइसेंस कंपनी के पास है।

Highlightsपिछले दिसंबर में पारित आदेशों को जारी रखने के लिए हाल ही में उच्च न्यायालय का रुख किया था।हर साल पार्टी आयोजित करते हैं और वे कॉपीराइट अधिनियम के तहत पीपीएल के स्वामित्व वाले गीतों सहित अन्य संगीत बजाते हैं।पीपीएल से अनुमति लेने और शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता है, जिसका लाइसेंस कंपनी के पास है।

मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि मुंबई में कई होटल, पब और रेस्तरां क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या के कार्यक्रमों के दौरान कई लोकप्रिय फिल्मी और गैर-फिल्मी संगीत तब तक इस्तेमाल नहीं कर सकते, जब तक वे ‘फोनोग्राफिक परफॉर्मेंस लिमिटेड’ (पीपीएल) को लाइसेंस शुल्क का भुगतान नहीं करते और कॉपीराइट अनुमति प्राप्त नहीं करते।

वर्ष 1941 में स्थापित ‘पीपीएल इंडिया’ स्वयं को सार्वजनिक तौर पर संगीत इस्तेमाल करने के अधिकार संबंधी लाइसेंस रखने वाला संगठन बताती है। उसके पास हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में 340 संगीत लेबल के 25 लाख गीतों के लाइसेंस हैं। पीपीएल ने होटल और रेस्तरां के खिलाफ पिछले दिसंबर में पारित आदेशों को जारी रखने के लिए हाल ही में उच्च न्यायालय का रुख किया था।

पीपीएल ने कहा कि हाल का अदालती आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संगीत के सभी उपयोगों पर लागू होता है, जिसमें नए साल की पूर्व संध्या, क्रिसमस और किसी भी अन्य कार्यक्रम में पूरे साल सार्वजनिक स्थानों पर इस्तेमाल होने वाला संगीत शामिल है।

रेस्तरां और होटल क्रिसमस और नए साल के दौरान हर साल पार्टी आयोजित करते हैं और वे कॉपीराइट अधिनियम के तहत पीपीएल के स्वामित्व वाले गीतों सहित अन्य संगीत बजाते हैं। इस अधिनियम के तहत प्रतिष्ठानों को उस संगीत के इस्तेमाल को लेकर पीपीएल से अनुमति लेने और शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता है, जिसका लाइसेंस कंपनी के पास है।

न्यायमूर्ति मनीष पिटाले ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उनकी राय में प्रथम दृष्टया इस तरह की सीमित एकतरफा तदर्थ राहत देने का मजबूत मामला बनता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि अगर इस तरह की राहत जल्द नहीं दी गई तो याचिकाकर्ता को नुकसान हो सकता है। मामले में आगली सुनवाई जनवरी में होगी। संगठन ने दावा किया कि बंबई उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए आदेशों को सुनने के बाद कई प्रतिष्ठान स्वेच्छा से आगे आए और उन्होंने पीपीएल से लाइसेंस प्राप्त किया।

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