गुवाहाटी, 31 जुलाई असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने हाल में सीमा पर हुई हिंसक झड़प के संबंध में मिजोरम सरकार द्वारा उनके और राज्य के छह अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने के औचित्य पर शनिवार को सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब घटना असम के ''संवैधानिक क्षेत्र'' में हुई तो मिजोरम में प्राथमिकी कैसे दर्ज की जा सकती है।
सरमा ने कहा कि वह जांच में शामिल होने पर ''बहुत खुश'' होंगे, लेकिन आश्चर्य है कि इसे ''तटस्थ एजेंसी'' को क्यों नहीं सौंपा जा रहा है।
मिजोरम पुलिस ने, मिजोरम और असम पुलिस के बीच झड़प के बाद सोमवार देर रात वैरेनगटे पुलिस थाने में सरमा और छह अधिकारियों के खिलाफ हत्या के प्रयास व आपराधिक साजिश से जुड़े विभिन्न आरोपों के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। यह प्राथमिकी शुक्रवार को सार्वजनिक हो गई।
इस झड़प में पूर्वोत्तर के इन दोनों राज्यों के निवासी भी शामिल थे। इसमें असम पुलिस के छह कर्मियों और एक निवासी की मौत हो गई थी।
सरमा ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट, ''खुशी-खुशी जांच में सहयोग करूंगा... लेकिन इस मामले को तटस्थ एजेंसी को क्यों नहीं सौंपा जा रहा, विशेषकर तब जबकि यह घटना असम के संवैधानिक क्षेत्र में अंदर हुई।''
सरमा ने कहा कि वह मिजोरम के अपने समकक्ष जोरमथंगा से इसपर बात कर चुके हैं।
जिन चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई, उनमें आईजीपी अनुराग अग्रवाल, कछार के डीआईजी देवज्योति मुखर्जी , कछार के एसपी वैभव चंद्रकांत निंबालकर और ढोलई थाने के प्रभारी अधिकारी शहाबुद्दीन शामिल हैं।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।