शिमलाः देश भर की की निगाहें हिमाचल प्रदेश की ओर है। पर्वतीय राज्य में हर पांच साल पर राज बदलने का रिवाज कायम रहा। यहां पर रिवाज कायम रह गया। गत 12 नवंबर को संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस में जोरदार टक्कर देखने को मिल रही है।
शुरुआती रुझान में कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश भाजपा से छीन लिया है। पुरानी पेंशन योजना और अग्निवीर का असर देखने को मिल रहा है। कांग्रेस 38 सीट और भाजपा 27 सीट पर आगे है। तीन सीट निर्दलीय प्रत्याशी बढ़त बनाए हुए हैं। पर्वतीय राज्य में बृहस्पतिवार को 68 निर्वाचन क्षेत्रों में 412 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला हो रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 44 और कांग्रेस को 21 सीटें हासिल हुई थीं। भाजपा ने समान नागरिक संहिता लागू करने और राज्य में आठ लाख नौकरियां पैदा करने का वादा किया जबकि कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने और 680 करोड़ रुपये के स्टार्टअप की घोषणा की।
कांग्रेस को उम्मीद है कि पुरानी पेंशन योजना और कई अन्य मुद्दों पर जनता ने उसे समर्थन दिया है और हिमाचल में उसकी सरकार बनेगी। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘‘अगर हम हिमाचल नहीं जीतते हैं तो मैं नहीं समझता कि हम कहां जीतेंगे।’’ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह और पूर्व भाजपा प्रमुख सतपाल सिंह सत्ती शामिल हैं।