Hijab Row: कर्नाटक हाईकोर्ट कल सुनाएगा अपना फैसला, बुरका विवाद को लेकर पूरे देश में शुरू हो गई थी खेमेबंदी
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 14, 2022 09:01 PM2022-03-14T21:01:15+5:302022-03-14T21:05:24+5:30
बुरका विवाद ने जनवरी 2022 में उस वक्त तूल पकड़ लिया था जब उडुपी के एक स्कूल की छात्राओं ने कॉलेज कैंपस में शिक्षकों के कहने के बावजूद बुरका उतारने और उनका इस्तेमाल को रोकने से इनकार कर दिया था।
बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट कल बहुप्रतिक्षित बुरका विवाद पर अपना फैसला सुनाने वाला है। इस साल की शुरूआत में इस विवाद ने पहले कर्नाटक को अपनी जद में और धीरे-धीरे पूरे देश में बुरके को लेकर खेमेबंदी शुरू हो गई।
कॉलेज से शुरू हुए इस विवाद पर समाज के विभिन्न तबकों से सियासत के गलियारों में भी लंबी चर्चाएं हुईं और कई तरह के विवादास्पद बयान भी सामने आये थे। दरअसल यह विवाद कोर्ट की दहलीज पर तब पहुंचा जब उडुपी के कुछ छात्रों के समूह ने कॉलेज कैंपस में बुरके पर पबंदी लगाये जाने के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दी।
छात्रों ने कोर्ट में चुनौती दी कि इस तरह का कोई कानून संविधान के दायरे में नहीं आता है जो बुरके को कॉलेज कैंपस में प्रतिबंधित कर सके।
उन्होंने कोर्ट के सामने पेश करते हुए दलील में कहा कि बुरका संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के तहत संरक्षित है और कोई भी कॉलेज प्रबंधन यह आदेश नहीं दे सकता है कि कैंपस में इसे पहनने से सार्वजनिक व्यवस्था का उल्लंघन हो रहा है।
वहीं छात्रों के इतर इस मामले में कर्नाटक सरकार ने अपनी दलील में कहा कि संस्थागत अनुशासन के दायरे को छोड़कर भारत में कहीं भी बुरका पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
इस विवाद ने जनवरी में उस वक्त तूल पकड़ लिया था जब उडुपी के एक स्कूल के छात्राओं ने कॉलेज कैंपस में शिक्षकों के कहने के बावजूद बुरका उतारने और उनका इस्तेमाल को रोकने से इनकार कर दिया था।
वैसे मामले में गौर करने की बात यह है कि जैसे ही बुरके को लेकर विरोध फैलना शुरू हुआ, छात्रों का एक वर्ग हिंदू धर्म की पहचान से जोड़ते हुए भगवा स्कार्फ लेकर आंदोलन करने लगा। वहीं बुरके के समर्थन में दलित छात्रों ने नीले रंग के स्कार्फ को आंदोलन करना शुरू कर दिया था।
इस बीच कर्नाटक हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करने वाले जज ने इससे संबंधित याचिका को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था और उस बड़ी बेंच ने इस विवादास्पद मामले में अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि स्कूल और कॉलेज फिर से खुल सकते हैं लेकिन हिजाब सहित किसी भी धार्मिक कपड़ों या प्रतीकों की अनुमति कॉलेज कैंपस में नहीं दी जाएगी।