कागज बचाने के लिये उच्च न्यायालय शीर्ष अदालत के पर्यावरण अनुकूल कदमों का अनुसरण करेंगे

By भाषा | Published: December 4, 2020 08:43 PM2020-12-04T20:43:47+5:302020-12-04T20:43:47+5:30

High Court will follow environment friendly steps of Supreme Court to save paper | कागज बचाने के लिये उच्च न्यायालय शीर्ष अदालत के पर्यावरण अनुकूल कदमों का अनुसरण करेंगे

कागज बचाने के लिये उच्च न्यायालय शीर्ष अदालत के पर्यावरण अनुकूल कदमों का अनुसरण करेंगे

नयी दिल्ली, चार दिसंबर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उच्चतम न्यायालय की पहल से सीख लेते हुये अब देश के सभी उच्च न्यायालयों ने बड़े आकार के अदालती कागज के स्थान पर ए4 साइज के कागज पर दोनों ओर मुद्रित याचिकायें और हलफनामे स्वीकार करना शुरू कर दिया है।

न्यायालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अनेक जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे , ने शीर्ष अदालत में न्यायिक और प्रशासनिक दोनों ही पक्षों में अनेक कदम उठाये हैं जिनसे हजारों वृक्ष्रों के संरक्षण और बड़ी मात्रा में जल संरक्षण करने में मदद मिलेगी।

शीर्ष अदालत में सभी हितधारकों को न्यायिक कार्यवाही के लिये दाखिल दस्तवेजों के लिये ए4 आकार के कागज को दोनों ओर मुद्रित करना होगा।

शीर्ष अदालत के अधिकारियों ने बताया कि इस अकेले उपाय से हर साल ए4 आकार के करीब डेढ़ करोड़ कागजों की बचत होने का अनुमान है।

शीर्ष अदालत में प्रत्येक वर्ष में औसतन 41,010 मामले दाखिल होते हैं जिनमें ए4 आकार के दोनों ओर मुद्रित कागज का इस्तेमाल करने पर औसतन 200 पन्नों की एक पेपर बुक (चार पेपर बुक में 800 पेज) से अनुमान है कि हर साल करीब डेढ़ करोड़ पन्नों की बचत होगी।

शीर्ष अदालत की इस पहल के बाद कलकत्ता, कर्नाटक, सिक्किम, त्रिपुरा, और हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पर्यावरण अनुकूल उपाय अपनाने शुरू कर दिये हैं।

इससे पहले, इसी साल शीर्ष अदालत के प्रशासन ने एडवोकेट ऑन रिकार्ड और व्यक्तिगत रूप से याचिका दायर करने वालों को मामला दायर करते समय चार पेपर बुक के स्थान पर सिर्फ दो पेपर बुक दाखिल करने की अनुमति दी थी जिससे हर साल ए4 आकार के करीब 15 लाख कागज की बचत होने का अनुमान लगाया गया था।

शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने भी फैसलों और आदेशों की प्रतियां मुद्रित करना और उनका वितरण करना बंद कर दिया है और इसके स्थान पर अब यह उच्चतम न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, पिछले तीन साल के दौरान उपयोग हुये कागज के अनुमान के आधार पर इस पहल से करीब 8.5 लाख पन्ने सालाना कागज की बचत होने का अनुमान है।

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Web Title: High Court will follow environment friendly steps of Supreme Court to save paper

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