सरदार सरोवर विस्थापितों की जमीन पर हाईकोर्ट की सख्ती, रजिस्ट्री के आदेश से सरकार पर 500 करोड़ से ज्यादा का बोझ

By मुकेश मिश्रा | Updated: November 29, 2025 10:57 IST2025-11-29T10:56:17+5:302025-11-29T10:57:05+5:30

Madhya Pradesh High Court:  कोर्ट ने बड़वानी, खरगोन, धार और अलीराजपुर के कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि एसडीओ, तहसीलदार और सब रजिस्ट्रार की समिति बनाकर सीमांकन, सर्वे और रजिस्ट्री की प्रक्रिया कैम्प लगाकर पूरी की जाए।

High Court takes strict action on land for Sardar Sarovar displaced people registry order puts government at a cost of over Rs 500 crore | सरदार सरोवर विस्थापितों की जमीन पर हाईकोर्ट की सख्ती, रजिस्ट्री के आदेश से सरकार पर 500 करोड़ से ज्यादा का बोझ

सरदार सरोवर विस्थापितों की जमीन पर हाईकोर्ट की सख्ती, रजिस्ट्री के आदेश से सरकार पर 500 करोड़ से ज्यादा का बोझ

Madhya Pradesh High Courtसरदार सरोवर परियोजना से उजड़े हजारों परिवारों को आखिर कब मिलेगा जमीन का वास्तविक मालिकाना हक? यही सवाल उठाते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो माह के भीतर विस्थापितों की जमीनों की रजिस्ट्री कराने का सख्त आदेश दिया है। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनय द्विवेदी की युगल पीठ ने मेधा पाटकर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जिन परिवारों को पुनर्वास के तहत जमीन के पट्टे दिए जा चुके हैं, उन्हें अब कागज़ों पर भी वैध मालिक बनाया जाए।

याचिका में बताया गया कि सरदार सरोवर बांध से हजारों लोग विस्थापित हुए थे, जिनमें करीब 25 हजार प्रभावितों का पुनर्वास किया जा चुका है, लेकिन अब भी अनेक परिवार मुआवज़ा और पुनर्वास की प्रतीक्षा में हैं।भूमि आवंटन के बावजूद रजिस्ट्री न होने से न तो ये किसान बैंक से कर्ज ले पा रहे हैं, न ही अपनी जमीन को कानूनी सुरक्षा दिला पा रहे हैं; एक कागज़ की चूक से पूरी पीढ़ी की जमीन विवाद में फंसने का खतरा बना हुआ है। कोर्ट ने बड़वानी, खरगोन, धार और अलीराजपुर के कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि एसडीओ, तहसीलदार और सब रजिस्ट्रार की समिति बनाकर सीमांकन, सर्वे और रजिस्ट्री की प्रक्रिया कैम्प लगाकर पूरी की जाए।

सबसे बड़ा सवाल पैसे का है। सूत्रों के मुताबिक पट्टों की रजिस्ट्री, स्टांप ड्यूटी और अन्य शुल्क पर सरकार को 500 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च उठाना पड़ सकता है, जिसको लेकर मंत्रालय स्तर पर उधेड़बुन चल रही है कि यह भारी बोझ राजकोष उठाए या विस्थापितों पर डाला जाए। विस्थापितों का दर्द यह है कि सरकार ने पट्टे बांटकर जिम्मेदारी पूरी मान ली, लेकिन मालिकाना हक के बिना ये कागज़ सिर्फ़ एक औपचारिक रसीद बनकर रह गए हैं।

हाईकोर्ट ने मेधा पाटकर को भी निर्देश दिया है कि वे प्रशासन और विस्थापितों के बीच समन्वय कर इस प्रक्रिया को तेज करें, जबकि चारों जिलों के कलेक्टरों से 5 जनवरी 2026 तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।

Web Title: High Court takes strict action on land for Sardar Sarovar displaced people registry order puts government at a cost of over Rs 500 crore

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