उच्च न्यायालय ने मुश्किल चुनौतियों के बीच न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उठाए कदम

By भाषा | Updated: December 28, 2020 16:54 IST2020-12-28T16:54:51+5:302020-12-28T16:54:51+5:30

High court takes steps to ensure access to justice amidst difficult challenges | उच्च न्यायालय ने मुश्किल चुनौतियों के बीच न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उठाए कदम

उच्च न्यायालय ने मुश्किल चुनौतियों के बीच न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उठाए कदम

(शिखा वर्मा और हैरी एम पिल्लै)

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर कोविड-19 महामारी की वजह से मार्च में देश में सभी गतिविधियां थम सी गयीं लेकिन न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का कामकाज जारी रहा। संक्रमित लोगों के इलाज के संबंध में और अस्पतालों में उपचार जैसी बुनियादी व्यवस्था के लिए भी अदालत को कई बार निर्देश देने पड़े।

महामारी की वजह से देश में गतिविधियां थमने से पहले उच्च न्यायालय ने दो मामलों में मध्यरात्रि में विशेष सुनवाई की। इसमें एक मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे से जुड़ा हुआ था। दूसरा, निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला था, जिसमें अदालत ने देर रात को सुनवाई की।

मार्च के बाद अदालत ने स्वास्थ्यकर्मियों, सफाई कर्मचारियों को पीपीई किट प्रदान करने, महामारी के समय रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों को मेडिकल कवर, नगर निगमों के शिक्षकों, डॉक्टरों, नर्सों के बकाया वेतन समेत कई मुद्दों पर लगातार सुनवाई की।

देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लगाए जाने के एक दिन बाद बिना समय गंवाए उच्च न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जरूरी मामलों की सुनवाई शुरू की और केवल दोनों पक्षों के वकीलों को इस दौरान सुनवाई में शामिल होने की इजाजत दी गयी।

दंगा मामलों में याचिकाकर्ता ने एक न्यायाधीश के आवास पर जाकर गुहार लगायी कि हालात के कारण एक छोटे अस्पताल से पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में ले जा पाना संभव नहीं हो रहा है। अदालत ने पुलिस को सुरक्षित मार्ग प्रदान करने और आपात इलाज सुनिश्चित करवाने का निर्देश दिया।

अगले दिन, न्यायमूर्ति एस मुरलीधर ने भाजपा के तीन नेताओं के नफरत वाले कथित भाषणों के लिए उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा मामला दर्ज नहीं करने पर ‘रोष’ प्रकट किया। कुछ घंटे बाद, केंद्र सरकार ने न्यायाधीश का पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरण करने की अधिसूचना जारी कर दी।

कानून बिरादरी से जुड़े कई लोगों ने स्थानांतरण के समय पर सवाल उठाए, हालांकि न्यायमूर्ति मुरलीधरन ने अपने विदाई समारोह में स्पष्ट किया था कि दंगा मामलों की सुनवाई के बहुत पहले ही उन्हें स्थानांतरण के बारे में बता दिया गया था।

निर्भया मामलों के तीन गुनहगारों ने अपनी फांसी रोकने के लिए 16 मार्च की देर शाम अदालत का रुख किया। हालांकि, उच्च न्यायालय के साथ उच्चतम न्यायालय ने उनकी याचिकाएं खारिज कर दी और 20 मार्च की सुबह उन्हें फांसी दी गयी।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के आरंभिक दिनों में अदालत ने कोरोना वायरस संबंधी बंदिशों के कारण विदेशों में फंसे छात्रों और दूसरे नागरिकों की याचिकाओं पर सुनवाई की और प्राधिकारों को उनके लिए कदम उठाने के निर्देश दिए।

जेल में भीड़ भाड़ काम करने के लिए पैरोल और अंतरिम जमानत पर कैदियों को छोड़ने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया।

उच्च न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा रोकने और पीड़िताओं की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए। इस दौरान, बेघर श्रमिकों को खाना, पानी, बिजली आदि सुनिश्चित करने संबंधी निर्देश भी दिए गए।

सितंबर में उच्च न्यायालय ने कुछ वकीलों के आग्रह के कारण सीमित स्तर पर प्रत्यक्ष तरीके से सुनवाई शुरू की। हालांकि, उच्च न्यायालय के आंकड़ों के मुताबिक 90 प्रतिशत से ज्यादा वकीलों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई को तरजीह दी।

उच्च न्यायालय ने फर्जी घोषणापत्र देने के कारण दिल्ली के पूर्व विधि मंत्री जितेंद्र तोमर के 2015 के चनाव को भी रद्द कर दिया।

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Web Title: High court takes steps to ensure access to justice amidst difficult challenges

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