उच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश की आवासीय योजना पर रोक लगायी
By भाषा | Published: October 9, 2021 08:39 PM2021-10-09T20:39:10+5:302021-10-09T20:39:10+5:30
अमरावती, नौ अक्टूबर आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को गरीबों के लिए घरों के निर्माण की योजना को तत्काल रोकने का निर्देश दिया क्योंकि योजना न केवल विभिन्न नियम-कानूनों बल्कि संविधान का भी उल्लंघन करती है।
अदालत ने लाभार्थियों के संभावित स्वास्थ्य खतरे समेत योजना से संबंधित अन्य मुद्दों की जांच करने के लिए राज्य सरकार को एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी निर्देश दिया जोकि योजना को आगे बढ़ाने से पहले जनता की राय लेगी।
अदालत ने 'पेदलंदरिकी इलू' नामक योजना से संबंधित तीन अलग-अलग सरकारी आदेशों के विभिन्न प्रावधानों को ''अवैध और मनमाना'' घोषित किया और कहा कि वे एक दूसरे के विरोधाभाषी थे।
न्यायालय ने इन शासनादेशों के संदर्भ में कहा कि राज्य की कोई निश्चित नीति नहीं है और यह समय-समय पर बदलती रही।
अदालत ने एक शासनादेश (जिसमें सभी आवंटन केवल महिला लाभार्थियों के लिए थे) के एक विशेष खंड को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह ''असंवैधानिक, अवैध, मनमाना और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (1) का उल्लंघन है।''
उच्च न्यायालय ने अन्य संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन का हवाला देते हुए राज्य को निर्देश दिया कि वह पुरुषों और ट्रांससेक्सुअल को उनकी पात्रता के अनुसार महिलाओं के समान घर की जगह आवंटित करे।
न्यायमूर्ति एम सत्यनारायण मूर्ति ने गरीबों के लिए आवास भूमि के आवंटन और घरों के निर्माण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली कई रिट याचिकाओं पर शुक्रवार देर रात फैसला सुनाया।
उन्होंने कहा, ''इस तरह के बड़े पैमाने वाली परियोजना के लिए की जा रही पूरी प्रक्रिया बहुत अस्पष्ट और अवैज्ञानिक है। भूमि का आवंटन पारदर्शी और अच्छी तरह से परिभाषित नीति के आधार पर किया जाना चाहिए। आवंटन की प्रक्रिया में कई तरह गड़बड़ी हैं।''
न्यायाधीश ने कहा कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पेदलंदरिकी इलू (सभी गरीबों के लिए आवास) योजना के तहत बनाए जाने के लिए प्रस्तावित घर का आकार राष्ट्रीय भवन संहिता, आंध्र प्रदेश बिल्डिंग नियम, 2017 तथा केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी मॉडल भवन उप-नियमों के अनुसार नहीं है।
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