हाईकोर्ट ने कहा-मुंहमांगी रकम लेकर तलाक से नहीं मुकर सकते, पति से ₹6.50 लाख लेने के बाद भी तलाक नहीं दे रही थी पत्नी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 10, 2022 21:53 IST2022-02-10T21:52:18+5:302022-02-10T21:53:56+5:30

न्यायमूर्ति एम.एस.जावलकर की खंंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि एक बार तय नियम शर्तों का पालन हो जाने के बाद दोनों में से कोई भी तलाक देने की अपनी सहमति रद्द नहीं कर सकता.

High Court said Can not turn away divorce taking asking amount Even ₹ 6-50 lakh husband, wife not giving divorce | हाईकोर्ट ने कहा-मुंहमांगी रकम लेकर तलाक से नहीं मुकर सकते, पति से ₹6.50 लाख लेने के बाद भी तलाक नहीं दे रही थी पत्नी

कोर्ट से कहा कि अब वह तलाक नहीं चाहती.

Highlightsसहमति रद्द करने के लिए कोई ठोस कारण जरूरी है. अनाप-शनाप बहानों और मनमर्जी से यूं ही सहमति वापस नहीं ली जा सकती.हाईकोर्ट ने यवतमाल निवासी इस दंपति का तलाक मंजूर किया है.

सौरभ खेकडे

नागपुरः आपसी तलाक के मामलों में बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक अहम फैसला दिया है. न्यायमूर्ति एम.एस.जावलकर की खंंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि एक बार तय नियम शर्तों का पालन हो जाने के बाद दोनों में से कोई भी तलाक देने की अपनी सहमति रद्द नहीं कर सकता.

सहमति रद्द करने के लिए कोई ठोस कारण जरूरी है. अनाप-शनाप बहानों और मनमर्जी से यूं ही सहमति वापस नहीं ली जा सकती. इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने यवतमाल निवासी इस दंपति का तलाक मंजूर किया है.

पहले राजी थी पत्नी

दरअसल वर्ष 1998 में दंपत्ति का विवाह हुआ. लेकिन दोनों में बनी नहीं. ऐसे में 23 नवंबर 2013 काे दंपत्ति ने लोक अदालत के समक्ष आपसी सहमति से तलाक का फैसला लिया. पत्नी ने पति से 13 लाख रूपए लेकर तलाक देने पर सहमति दिखाई. दोनों ने निचली अदालत में तलाक की अर्जी दायर की.

पति ने शर्त के मुताबिक तलाक अर्जी दायर होते ही पत्नी को 6.50 लाख रुपए अदा कर दिए. दूसरी किश्त बाद में देने की बात हुई. लेकिन पैसे मिलते ही पत्नी ने निचली अदालत में तलाक की अर्जी वापस लेने के लिए एक ‘विथड्रॉवल’ अर्जी दायर कर दी. कोर्ट से कहा कि अब वह तलाक नहीं चाहती.

लेकिन निचली अदालत ने पत्नी के इस बर्ताव को सही नहीं माना और तलाक मंजूर कर लिया. पत्नी ने इस आदेश को जिला अदालत में चुनौती दी, तो अदालत ने तलाक रद्द कर दिया. ऐसे में पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के मूल फैसले को सही मान कर दोनों का तलाक मंजूर कर लिया.

Web Title: High Court said Can not turn away divorce taking asking amount Even ₹ 6-50 lakh husband, wife not giving divorce

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