भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों की बेरहमी से हत्या के मामले में जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ मंगलवार (01 अक्टूबर) को टाडा कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मलिक को कोर्ट के सामने पेश करने की अनुमति दी। वहीं, मामले की अगली सुनवाई को 23 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी। बता दें, मलिक पर 1990 को श्रीगर में भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों की बेरहमी से हत्या में शामिल होने का आरोप है।
बता दें कि जनवरी 1990 को एयरफोर्स के कुछ अधिकारियों पर आतंकवादियों ने हमला किया था। इस दौरान करीब 40 एयरफोर्स के अधिकारी घायल हो गए थे। एयरफोर्स के दो अधिकारियों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि दो अधिकारियों ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया था। सीबीआई ने इस मामले में यासीन मलिक के खिलाफ टाडा कोर्ट जम्मू में मामला दर्ज किया था।
जेकेएलएफ को हाल में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत प्रतिबंधित किया गया था। इसी साल अप्रैल महीने में यासीन मलिक को जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकी समूहों के वित्त पोषण संबंधी एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
जेकेएलएफ-यासिन को प्रतिबंधित करने के अपने फैसले पर केंद्र ने हत्या, अपहरण, बमबारी और उगाही की 101 हिंसक घटनाओं का हवाला दिया था। इसमें श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र में 25 जनवरी, 1990 को भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों की हत्या और 10 को गंभीर रूप से घायल करने का मामला भी शामिल है।
इसके अलावा 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद को अगवा करने में संलिप्तता का आरोप है। तत्कालीन मुख्यमंत्री की बेटी को छोड़ने के बदले चार आतंकवादियों को रिहा करने की मांग की गई थी।
जेकेएलएफ जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों में आगे रहा है और वह 1989 में घाटी में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं में शामिल था। यासिन मलिक फिलहाल दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। जेकेएलएफ की स्थापना पाकिस्तानी नागरिक अमानुल्लाह खान ने मध्य 1970 में ब्रिटेन के बर्मिंघम में की थी।