Hathras Stampede: एसआईटी जांच में लापरवाही उजागर होने के बाद एसडीएम समेत 6 अधिकारी सस्पेंड
By रुस्तम राणा | Updated: July 9, 2024 15:26 IST2024-07-09T15:26:52+5:302024-07-09T15:26:52+5:30
निलंबित अधिकारियों में सिकंदराराव के उप-जिला मजिस्ट्रेट, सिकंदराराव के पुलिस क्षेत्राधिकारी, सिकंदराराव के थाना प्रभारी, सिकंदराराव के तहसीलदार, कचोरा के चौकी प्रभारी और पोरा के चौकी प्रभारी शामिल हैं। जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजक और तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया।

Hathras Stampede: एसआईटी जांच में लापरवाही उजागर होने के बाद एसडीएम समेत 6 अधिकारी सस्पेंड
हाथरस: हाथरस में भगदड़ की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के लिए छह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है, जिसके बाद उन्हें उनकी सेवाओं से निलंबित कर दिया गया है। स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर और चौकी प्रभारी को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
इन अधिकारियों पर गिरी जाँच की गाज
निलंबित अधिकारियों में सिकंदराराव के उप-जिला मजिस्ट्रेट, सिकंदराराव के पुलिस क्षेत्राधिकारी, सिकंदराराव के थाना प्रभारी, सिकंदराराव के तहसीलदार, कचोरा के चौकी प्रभारी और पोरा के चौकी प्रभारी शामिल हैं। जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजक और तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया। भगदड़ दुर्घटना की जांच कर रही एसआईटी ने 119 बयान दर्ज किए और मंगलवार को एक रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया कि 'सत्संग' का आयोजन करने वाली समिति अनुमति से अधिक लोगों को आमंत्रित करने के लिए जिम्मेदार थी।
2nd July Hathras stampede | SIT report states that the negligence by event organizers is the main reason behind the incident. The SIT also holds local administration accountable. The two-member SIT also states that a conspiracy is not denied, but in-depth investigation is needed.… pic.twitter.com/PW5GYSNupN
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 9, 2024
उक्त अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया तथा वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई, जिसके बाद एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की।
रिपोर्ट में खुलासा हुआ विवरण
रिपोर्ट के अनुसार, सिकंदराराव के उपजिला मजिस्ट्रेट ने कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किए बिना ही कार्यक्रम की अनुमति दे दी तथा वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसकी जानकारी नहीं दी। हाथरस जिले के सिकंदराराव में 2 जुलाई को सत्संग के दौरान हुए हादसे के तुरंत बाद गठित एडीजी जोन आगरा तथा अलीगढ़ के मंडलायुक्त की एसआईटी ने 2, 3 तथा 5 जुलाई को घटनास्थल का निरीक्षण किया। जांच के दौरान प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों, आम जनता तथा प्रत्यक्षदर्शियों सहित कुल 125 व्यक्तियों के बयान लिए गए।
इसके अतिरिक्त, घटना से संबंधित समाचार लेखों की प्रतियां, मौके पर वीडियोग्राफी, फोटोग्राफ और वीडियो क्लिपिंग की समीक्षा की गई। प्रारंभिक जांच में, एसआईटी ने प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर दुर्घटना के लिए मुख्य रूप से कार्यक्रम आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया।
बड़ी साजिश की संभावना से इनकार नहीं
अब तक की जांच और की गई कार्रवाई के आधार पर, जांच समिति ने दुर्घटना के पीछे बड़ी साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया है और गहन जांच की आवश्यकता पर जोर दिया है। आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की अनुमति प्राप्त की। अनुमति के लिए लागू शर्तों का पालन नहीं किया गया। उन्होंने अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित करने के बावजूद पर्याप्त और सुचारू व्यवस्था नहीं की, न ही उन्होंने कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन किया।
आयोजन समिति से जुड़े लोगों को अराजकता फैलाने का दोषी पाया गया है। एसआईटी ने निष्कर्ष निकाला है कि आयोजन समिति ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया और स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण करने से रोकने का प्रयास किया। सत्संग कलाकारों और भीड़ को बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के आपस में मिलने दिया गया। बड़ी भीड़ होने के बावजूद, कोई बैरिकेडिंग या मार्ग की व्यवस्था नहीं की गई थी और जब दुर्घटना हुई, तो आयोजन समिति के सदस्य घटनास्थल से भाग गए।
हाथरस भगदड़ की घटना के बारे में
यह घटना 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलारी गांव में स्वयंभू संत सूरज पाल उर्फ 'भोले बाबा' के धार्मिक 'सत्संग' कार्यक्रम में हुई। हाथरस भगदड़ की घटना के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को पिछले सप्ताह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश करने के बाद 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
मधुकर फरार था और उसकी गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को एक लाख रुपये का इनाम दिया गया था। आखिरकार उसे 5 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी में गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के अनुसार, इसके अलावा दो अन्य आरोपियों रामप्रकाश शाक्य और संजू यादव को भी गिरफ्तार किया गया।