हाथरस कांड: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा-पीड़ित के घर के पास दो इंस्पेक्टर और चार महिला सिपाहियों सहित कुल 16 पुलिसकर्मी तैनात
By भाषा | Published: October 14, 2020 03:45 PM2020-10-14T15:45:46+5:302020-10-14T15:45:46+5:30
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि इस मामले की ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने’ के लिये पीड़ित के परिवार और गवाहों को पूरी सुरक्षा प्रदान करने के लिये कृतसंकल्प है और इसके लिये पर्याप्त सुरक्षा बल को तैनात किया गया है।
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि हाथरस मामले में पीड़ित के परिवार के सदस्यों और गवाहों की सुरक्षा के लिये ‘त्रिस्तरीय व्यवस्था’ की गयी है।
इस घटना में एक दलित लड़की से कथित रूप से बर्बरतापूर्वक बलात्कार किया गया था और उसकी बाद में अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी। राज्य सरकार ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि इस मामले की जांच कर रहे केन्द्रीय जांच ब्यूरो को जांच में प्रगति की रिपोर्ट हर पखवाड़े राज्य सरकार को सौंपने का निर्देश दिया जाये, जिसे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक शीर्ष अदालत में दाखिल कर सकते हैं। इससे पहले, राज्य सरकार ने कहा था कि इस घटना की समयबद्ध तरीके से सीबीआई जांच कर सकती है।
राज्य सरकार ने न्यायालय में कहा था कि इस घटना को लेकर राजनीतिक मकसद से तरह-तरह की फर्जी बातें फैलाये जाने की वजह से वह इसकी जांच सीबीआई को सौंपने के लिये तैयार है। हालांकि, बाद में इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया, जिसने अपनी जांच शुरू कर दी है।
गवाहों को पूरी सुरक्षा प्रदान करने के लिये कृतसंकल्प
न्यायालय में दाखिल अपने अनुपालन हलफनामे में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि इस मामले की ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने’ के लिये पीड़ित के परिवार और गवाहों को पूरी सुरक्षा प्रदान करने के लिये कृतसंकल्प है और इसके लिये पर्याप्त सुरक्षा बल को तैनात किया गया है। हलफनामे में कहा गया है कि इसलिए राज्य सरकार न्यायालय से अनुरोध करती है कि शीर्ष अदालत की देखरेख में समयबद्ध तरीके से सीबीआई को जांच की अनुमति देते हुये इस याचिका को लंबित रखा जाये।
हलफनामे में पीड़ित के परिवार के सदस्यों और गवाहों को प्रदान की गयी सुरक्षा का विवरण देते हुये सरकार ने कहा है कि उसके घर के बाहरी हिस्से में आठ सीसीटीवी लगाये हैं तथा घर के बाहर और आसपास 15 सशस्त्र सिपाहियों सहित पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये हैं। राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के छह अक्टूबर के निर्देश पर अमल करते हुये यह हलफनामा दाखिल किया है। न्यायालय ने हाथरस की इस घटना को बेहद ‘भयावह’ और ‘हतप्रभ’ करने वाली बताते हुये कहा था कि वह इसकी सुचारू ढंग से जांच सुनिश्चित करेगा।
साथ ही उसने उत्तर प्रदेश सरकार को हलफनामे पर यह जानकारी देने का निर्देश दिया था कि घटना से संबंधित गवाहों का संरक्षण किस तरह हो रहा है। हलफनामे में कहा गया है, ‘‘राज्य सरकार पीड़ित के परिवार और गवाहों को पूरी सुरक्षा प्रदान करने के लिये कृतसंकल्प है ताकि इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से जांच सुनिश्चित हो।’’ राज्य सरकार ने कहा कि पीड़ित के परिवार के सदस्यों- उसके माता-पिता, दो भाई, एक भाभी और उसकी दादी की सुरक्षा के लिये पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात किये गये हैं।
1.5 पीएसी सेक्शन तैनात हैं जिसमें 15 पीएसी कार्मिक
हलफनामे के अनुसार पीड़ित के गांव के प्रवेश द्वारा और उसके घर के पास दो इंस्पेक्टर और चार महिला सिपाहियों सहित कुल 16 पुलिसकर्मी तैनात हैं। इसी तरह, पीड़ित के घर के बाहर 24 घंटे दो सब इंस्पेक्टर और 1.5 पीएसी सेक्शन तैनात हैं जिसमें 15 पीएसी कार्मिक हैं। इसी तरह, पीड़ित के परिवार के सदस्यों और गवाहों की सुरक्षा के लिये दो पालियों में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। पीड़ित के परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिये सशस्त्र निजी सुरक्षाकर्मी तैनात किये गए हैं और इस काम के लिये शिफ्ट के आधार पर कुल 12 सिपाही तैनात किये गये हैं।
हलफनामे के अनुसार चंदपा थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर इस सारे बंदोबस्त के प्रभारी हैं। वह दैनिक आधार पर सुरक्षा बंदोबस्त का जायजा ले रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है कि गांव में तैनात समूचे सुरक्षाकर्मियों को सख्त हिदायत है कि पीड़ित के परिवार के किसी सदस्य या गवाह की निजता में किसी भी स्थिति में दखल नहीं दी जाये और वे कहीं भी आने-जाने और लोगों से मिलने के लिये स्वतंत्र हैं। हलफनामे के अनुसार पीड़ित के भाई ने पुलिस को लिखित में सूचित किया है कि उन्होंने परिवार की ओर से वकीलों की सेवायें ले ली हैं।
हालांकि, उन्होंने यह अनुरोध भी किया है कि उनकी ओर से सरकारी वकील भी मामले को देखे। हाथरस के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित लड़की से अगड़ी जाति के चार लड़कों ने कथित रूप से बलात्कार किया था। इस लड़की की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी।
पीड़ित की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गयी थी। उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्द से जल्द उसका अंतिम संस्कार करने के लिये मजबूर किया। स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना था कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया। इस घटना को लेकर कई व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों और वकीलों ने न्यायालय में अनेक जनहित याचिकायें दायर कर इसकी निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध किया है। इस मामले में हस्तक्षेप के लिये भी कई आवेदन दाखिल किये गये हैं।