हरियाणा में मतदान के बाद आए एक्जिट पोल के नतीजों को सिरे से खारिज करते हुए कांग्रेस ने भाजपा के नेतृत्व वाली खट्टर सरकार के दांत खट्टेे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. 90 सीटों वाली विधानसभा में 31 सीटों पर कमोवेश जीत हासिल करने के संकेत मिलते ही समूचा कांग्रेस नेतृत्व सरकार बनाने की कवायद में जुट गया. दिन-भर ज्यों-ज्यों परिणाम आते रहे भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला जारी रहा. कभी कांग्रेस ऊपर तो कभी भाजपा ऊपर. बावजूद इसके कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तत्काल इन नतीजों के बीच अपने सिपहसालारों को बुलाकर दस जनपथ पर सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाशने की हिदायत दे दी, साथ ही उन्होंने कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा से टेलीफोन पर बातचीत कर उन्हें खुली छूट दी कि वे जेजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला से बात कर उनका समर्थन हासिल करने की कोशिश करें.
तमाम अटकलों के बीच, कांग्रेस हरियाणा में सरकार का गठन करने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. पार्टी से प्राप्त खबरों के अनुसार सोनिया गांधी से खुली छूट मिलने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दुष्यंत चौटाला के साथ-साथ उन निर्दलीय विधायकों से संपर्क स्थापित किया जो चुनाव परिणाम आने से पहले ही हुड्डा के संपर्क में थे. भूपेंद्र हुड्डा के अलावा उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा भी जेजेपी और निर्दलीय विधायकों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि हरियाणा में भाजपा जाट विरोधी राजनीति का गढ़ बनाना चाहती है जो आने वाले समय में जाट समुदाय के लिए खतरनाक साबित होगा. इसी के साथ भूपेंद्र हुड्डा ने समूचे विपक्ष से अपील की कि वह भाजपा के खिलाफ लामबंद होकर सरकार का गठन करें और कांग्रेस उन सभी दलों को उचित सम्मान देगी जो इस मुहिम में शामिल होेंगे.
उधर, दुष्यंत चौटाला दिल्ली के लिए रवाना हुए. समझा जाता रहा कि चुनाव नतीजों की रात हरियाणा की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होगी क्योंकि भाजपा को जहां छह विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है तो कांग्रेस को 15 विधायकों का समर्थन चाहिए जिसमें पांच बागी उम्मीदवार जो चुनाव जीतकर आए हैं, वह भूपेंद्र हुड्डा के नजदीक बताए जाते हैं और जेजेपी के पास दस विधायकों का समर्थन है, कांग्रेस ने दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री का पद भी देने की पेशकश कर दी है.
भाजपा कर सकती है एजेंसियों का दुरुपयोग
सोनिया गांधी ने अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, अशोक गहलोत, सहित दूसरे नेताओं को अपने-अपने स्तर पर समर्थन जुटाने के लिए प्रयास करने की जिम्मेदारी सौंपी है. यह जानते हुए भी कि भाजपा सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरने के कारण सरकार बनाने का दावा पेश करेगी और साम, दाम, दंड भेद से सरकार का गठन करना चाहेगी. पार्टी में जब शीर्ष नेतृत्व सरकार के गठन की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा था उस समय इन नेताओं के बीच यह बात भी उभर कर सामने आई कि चौटाला परिवार सीबीआई तथा दूसरी जांच एजेंसियों के घेरे में है, ऐसी स्थिति में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व दुष्यंत चौटाला का समर्थन हासिल करने के लिए इन एजेंसियों का दुरुपयोग कर सकता है.