हरियाणा विधानसभा चुनाव: एक परिवार में तीन टिकट पर BJP में घमासान, दो मंत्रियों ने PM मोदी को लिखा पत्र
By हरीश गुप्ता | Updated: September 30, 2019 08:38 IST2019-09-30T08:38:27+5:302019-09-30T08:38:27+5:30
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुजर्र ने जींद जिले के उचाना कलां विधानसभा सीट से चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता को फिर टिकट देने का विरोध किया है.

हरियाणा में 21 अक्टूबर को चुनाव होंगे और नतीजों की घोषणा 24 अक्टूबर को होगी.
दो केंद्रीय मंत्रियों ने हरियाणा में एक परिवार के तीन लोगों को टिकट देने का विरोध किया है. इसके साथ ही हरियाणा भाजपा में बड़ी लड़ाई छिड़ गई है. दोनों मंत्रियों का कहना है कि पार्टी के नियम तोड़कर टिकट दिए गए. सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुजर्र ने जींद जिले के उचाना कलां विधानसभा सीट से चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता को फिर टिकट देने का विरोध किया है जबकि दूसरे केंद्रीय मंत्री का इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने की सूचना है.
इन दोनों मंत्रियों ने एक परिवार के तीन लोगों को पद देने का इस आधार पर विरोध किया है कि यह पार्टी के उस सिद्धांत के विपरीत है जिसमें एक परिवार, एक पद की व्यवस्था है. उनका कहना है कि चौधरी बीरेंद्र सिंह राज्यसभा के सदस्य हैं जबकि उनके पुत्र बिजेंद्र सिंह लोकसभा के सदस्य हैं. वहीं, मौजूदा विधायक प्रेम लता को उनके खराब प्रदर्शन के बावजूद फिर से टिकट दिया जा रहा है. उनका सवाल है कि चौधरी बीरेंद्र सिंह के लिए इस मानदंड को क्यों तोड़ा जा रहा है जबकि इससे गलत संदेश जाएगा.
दरअसल, कृष्णपाल गुर्जर ने कुछ दिन पहले उम्मीदवारों के चयन के लिए हरियाणा भवन में हुई राज्य समन्वय समिति की बैठक में अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. वह जानना चाहते थे कि पार्टी इस परंपरा को क्यों अपना रही है. जब भाजपा महासचिव अनिल जैन ने बताया कि चौधरी बीरेंद्र सिंह पहले ही राज्यसभा से इस्तीफा दे चुके हैं, तो गुर्जर ने जानना चाहा कि नरेंद्र मोदी की नई सरकार गठन के 100 दिन बाद भी इसे क्यों स्वीकार नहीं किया गया. हालांकिख, राज्य समन्वय समिति ने माना कि इस पर पार्टी आलाकमान को फैसला करना था और राज्य इकाई की इसमें कोई भूमिका नहीं थी.
वादा नहीं हुआ पूरा :
कार्यक्रम कार्यान्वयन, योजना और सांख्यिकी के स्वतंत्र राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को लिखा था. हालांकि वह संपर्क बनाने की कोशिश करते रहे और उनके कार्यालय से उन्हें इस संबंध में फोन करने का वादा किया जाता रहा. यहां तक कि कृष्णपाल गुर्जर ने बैठकों का दौर खत्म होने के बाद संपर्क करने का वादा किया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.