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दरकिनार महसूस कर रहे हैं हरीश रावत, जल्द कर सकते हैं राजनीतिक भविष्य पर फैसला: सूत्र

By भाषा | Updated: December 22, 2021 19:10 IST

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नयी दिल्ली, 22 दिसंबर पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस से अलग होने के बाद अब उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता हरीश रावत की ‘‘नाराजगी’’ ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी के लिए एक नयी मुसीबत खड़ी कर दी है।

रावत के करीब सूत्रों का दावा है कि वह पिछले कुछ महीनों से पार्टी के भीतर ही दरकिनार महसूस कर रहे हैं तथा यदि पार्टी आलाकमान ने दखल नहीं दिया और राज्य में कांग्रेस की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ तो वह जल्द ही अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कोई फैसला कर सकते हैं।

सूत्रों का यहां तक कहना है कि स्थितियों में सुधार नहीं होने पर 72 वर्षीय रावत ‘‘राजनीति से संन्यास लेने तक का फैसला ले सकते हैं।’’

उधर, रावत के इस रुख को लेकर कई बार प्रयास किए जाने के बावजूद कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रावत उत्तराखंड में कांग्रेस के सबसे चेहरे माने जाते हैं और मौजूदा समय में वह राज्य में पार्टी की चुनाव अभियान समिति के प्रमुख हैं।

उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले ही पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।

रावत ने बुधवार को पार्टी संगठन पर असहयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका मन सब कुछ छोड़ने को कर रहा है ।

प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रावत ने एक ट्वीट किया, ‘‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं । मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत, अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है।’’

चुनाव से कुछ महीने पहले रावत के इस ट्वीट पर उनके करीबी सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों से प्रदेश प्रभारी (देवेंद्र यादव) और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में बैठे कुछ नेताओं का जो रुख रहा है, उससे हरीश रावत खुद को दरकिनार महसूस कर रहे हैं।’’

रावत के करीब एक नेता ने कहा, ‘‘नया पीसीसी अध्यक्ष (गणेश गोदियाल) नियुक्त करने से पहले स्थानीय संगठन में सैकड़ों पदाधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई। फिर चुनाव प्रचार अभियान को एक जगह केंद्रित कर दिया गया। टिकट के मामले भी वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी करने की कोशिश हो रही है। वरिष्ठ नेताओं को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। सवाल यह है कि अगर पार्टी के सबसे बड़े चेहरे और वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया जाएगा तो फिर चुनाव कैसे जीता जाएगा?’’

उधर, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सूत्रों का कहना है कि रावत का यह रुख सिर्फ चुनाव से पहले टिकटों के संदर्भ में दबाव बनाने की रणनीति है और उम्मीद है कि वह पार्टी के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे और चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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