Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मामले में आज आएगा फैसला, अदालत ने 14 जुलाई को दोनों पक्षों की बहस पूरी कर ली थी
By अनिल शर्मा | Published: July 21, 2023 08:30 AM2023-07-21T08:30:13+5:302023-07-21T09:12:04+5:30
ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने का आग्रह करते हुए वाराणसी की जिला अदालत में दायर याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने 22 मई को अपनी आपत्ति दाखिल की थी।
वाराणसीःज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका पर आज वाराणसी की जिला अदालत फैसला सुनाएगी। अदालत ने 14 जुलाई को काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक जांच कराने की मांग से संबंधित मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद 21 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि आज एएसआई सर्वेक्षण पर फैसला आने वाला है जिसकी हमने मांग की थी, परिसर में सील किए गए क्षेत्र को छोड़कर क्योंकि सील किए गए क्षेत्र का मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है और सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक उस पर फैसला नहीं सुनाया जाता है, तब तक क्षेत्र में एएसआई सर्वेक्षण नहीं किया जाना चाहिए। चतुर्वेदी ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने पक्ष रखे थे और मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति जताई थी। आज का फैसला हमारे लिए एक मील का पत्थर साबित होगा ।
वाराणसी के जनपद न्यायाधीश ए के विश्वेश ने 14 जुलाई को दोनों पक्षों की बहस को सुना था। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया था कि हमने वजुखाने को छोड़ कर सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक और वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की मांग अदालत के समक्ष रखी थी। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 21 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया।''
जैन ने बताया कि अपनी दलील में उन्होंने अदालत से कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर - ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को पूरे मस्जिद परिसर की पुरातात्विक जांच द्वारा ही हल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने अदालत के समक्ष ये दलील रखी कि पुरातात्विक सर्वेक्षण से परिसर को नुकसान पहुंच सकता है, जिस पर हमने अदालत के समक्ष परिसर को बिना नुकसान पहुंचाए आधुनिक तरीके से जांच कराने की मांग रखी।
ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने का आग्रह करते हुए वाराणसी की जिला अदालत में दायर याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने 22 मई को अपनी आपत्ति दाखिल की थी।
याचिका 5 महिलाओं द्वारा दायर की गई है। इसमें मंदिर परिसर के अंदर शृंगार गौरी स्थल पर पूजा पाठ करने की इजाजत मांगी गई थी। मस्जिद परिसर के अंदर एक संरचना है जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग मानता है जबकि दूसरा पक्ष इसे फव्वारा बताता है।