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श्री गुरु तेग बहादुर जी ने भी सत्य, न्याय और आस्था की रक्षा को अपना धर्म माना, पीएम मोदी बोले-सिद्धांतों से समझौता नहीं किया, वीडियो

By सतीश कुमार सिंह | Updated: November 25, 2025 18:13 IST

Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas 2025: आज सुबह मैं रामायण की नगरी अयोध्या में था और अब मैं यहां गीता की नगरी कुरुक्षेत्र में हूं।

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ठळक मुद्देGuru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas 2025:श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस पर उन्हें नमन कर रहे हैं।Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas 2025: 5-6 साल पहले एक और अद्भुत संयोग बना था।Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas 2025: आज का दिन भारत की विरासत का अद्भुत संगम बनकर आया है।

कुरुक्षेत्रः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को कुरुक्षेत्र में गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले एक विशेष कार्यक्रम में भी शामिल हुए। गुरु तेग बहादुर साहिब जी की स्मृति हमें ये सिखाती है कि भारत की संस्कृति कितनी व्यापक, कितनी उदार और कितनी मानवता केंद्रीत रही है। उन्होंने 'सरबत दा भला' का मंत्र अपने जीवन से सिद्ध किया। इन वाक्यों में श्री गुरु तेग बहादुर जी की निडरता की पराकाष्ठा थी। इसके बाद जिसकी आशंका थी, वही हुआ। उस क्रूर औरंगजेब ने गुरु साहिब को बंदी बनाने का आदेश दिया। लेकिन, गुरु साहिब ने खुद दिल्ली जाने की घोषणा कर दी।

मुगल शासकों ने उन्हें प्रलोभन भी दिए, लेकिन श्री गुरु तेग बहादुर अडिग रहे। उन्होंने धर्म और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। इसलिए, उनका मन तोड़ने के लिए, गुरु साहिब को पथ से डिगाने के लिए उनके सामने उनके तीन साथियों भाई दयाला जी, भाई सतीदास जी, भाई मतिदास जी की निर्ममता से हत्या की गई। लेकिन, गुरु साहिब अटल रहे, उनका संकल्प अटल रहा।

उन्होंने धर्म का रास्ता नहीं छोड़ा। तब की अवस्था में गुरु साहिब ने अपना शीश धर्म की रक्षा को समर्पित कर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी जैसे व्यक्तित्व...इतिहास में विरले ही होते हैं। उनका जीवन, उनका त्याग, उनका चरित्र बहुत बड़ी प्रेरणा है। मुगल आक्रांताओं के उस काल में, गुरु साहिब ने वीरता का आदर्श स्थापित किया।

इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत सरकार ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के चरणों में एक स्मृति डाक टिकट और विशेष सिक्का भी समर्पित करने का सौभाग्य पाया है। मेरी कामना है कि हमारी सरकार गुरु परंपरा की इसी तरह निरंतर सेवा करती रहे। अब आज जब अयोध्या में धर्म ध्वजा की स्थापना हुई है, तो फिर मुझे सिख संगत से आशीर्वाद लेने का मौका मिला है।

अभी कुछ देर पहले कुरुक्षेत्र की भूमि पर पांचजन्य स्मारक का लोकार्पण भी हुआ है। कुरुक्षेत्र की इसी धरती पर खड़े होकर भगवान श्रीकृष्ण ने सत्य और न्याय की रक्षा को सबसे बड़ा धर्म बताया था। उन्होंने कहा था 'स्वधर्मे निधनं श्रेयः' अर्थात सत्य के मार्ग पर अपने धर्म के लिए प्राण देना भी श्रेष्ठ है। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने भी सत्य, न्याय और आस्था की रक्षा को अपना धर्म माना।

इस धर्म की रक्षा उन्होंने अपने प्राण देकर की। 5-6 साल पहले एक और अद्भुत संयोग बना था। साल 2019 में 9 नवंबर को जब राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया था, तो उस दिन मैं करतारपुर साहिब कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए डेरा बाबा नानक में था। मैं यही प्रार्थना कर रहा था कि राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो, करोड़ों रामभक्तों की आकांक्षा पूरी हो।

और हम सभी की प्रार्थना पूरी हुई, उसी दिन राम मंदिर के पक्ष में निर्णय आया। आज का दिन भारत की विरासत का अद्भुत संगम बनकर आया है। आज सुबह मैं रामायण की नगरी अयोध्या में था और अब मैं यहां गीता की नगरी कुरुक्षेत्र में हूं। यहां हम सभी श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस पर उन्हें नमन कर रहे हैं।

इस आयोजन में हमारे बीच जो संत मौजूद हैं, जो सम्मानित संगत उपस्थित है, मैं आप सभी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। हमारे गुरुओं की परंपरा, हमारे राष्ट्र के चरित्र, हमारी संस्कृति और हमारी मूल भावना का आधार है। मुझे संतोष है कि पिछले 11 वर्षों में हमारी सरकार ने इन पावन परंपराओं को, सिख परम्परा के हर उत्सव को राष्ट्रीय उत्सव के रूप में भी स्थापित किया है।

हम सभी जानते हैं कि कैसे मुगलों ने वीर साहिबजादों के साथ भी क्रूरता की सारी सीमाएं पार कर दी थीं। वीर साहिबजादों ने दीवार में चुना जाना स्वीकार किया... लेकिन अपने कर्तव्य और धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा। इन्हीं आदर्शों के सम्मान के लिए, अब हम हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाते हैं।

हमारी सरकार ने गुरुओं के हर तीर्थ को आधुनिक भारत के स्वरूप से जोड़ने का प्रयास किया है। करतारपुर कॉरिडोर का काम पूरा कराना हो, हेमकुंड साहिब में रोप वे प्रोजेक्ट का निर्माण करना हो, आनंदपुर साहिब में विरासत-ए-खालसा संग्रहालय का विस्तार हो, हमने गुरुजनों की गौरवशाली परंपरा को अपना आदर्श मानकर, इन सारे कामों को पूरी श्रद्धा से पूरा करने का प्रयास किया है।

टॅग्स :हरियाणानरेंद्र मोदीनायब सिंह सैनी
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