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गुजरात: मोरबी में चार दिन पहले पुल को दोबारा खोले जाने से पहले नहीं लिया गया था 'फिटनेस प्रमाणपत्र', 7 महीने तक चला था मरम्मत कार्य

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 31, 2022 08:37 IST

गुजरात के मोरबी में केबल पुल के टूट जाने के हादसे के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने बताया कि मरम्मत कार्य के बाद बगैर नगरपालिका के ‘फिटनेस प्रमाणपत्र’ के ब्रिज को खोल दिया गया था।

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मोरबी: गुजरात के मोरबी में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के रविवार शाम टूट जाने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। एक निजी कंपनी ओरेवा (Oreva) द्वारा सात महीने तक पुल का मरम्मत कार्य करने के बाद इसे चार दिन पहले ही 26 अक्टूबर को जनता के लिए फिर से खोला गया था। हालांकि पुल को नगरपालिका का ‘फिटनेस प्रमाणपत्र’ अभी नहीं मिला था। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। 

पीटीआई के अनुसार मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने कहा, ‘पुल को 15 साल के लिए संचालन और रखरखाव के लिए ओरेवा कंपनी को दिया गया था। इस साल मार्च में, इसे मरम्मत के लिए जनता के लिए बंद कर दिया गया था। 26 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष दिवस पर मरम्मत के बाद इसे फिर से खोल दिया गया था।’ 

उन्होंने कहा, 'मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था। हालांकि स्थानीय नगरपालिका ने अभी तक (मरम्मत कार्य के बाद) कोई फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया था।’ 

'सरकार को नहीं थी इसके बारे में जानकारी'

जाला ने कहा, 'यह एक सरकारी निविदा थी। ओरेवा समूह को पुल खोलने से पहले इसके नवीनीकरण का विवरण देना था और गुणवत्ता की जांच करनी थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। सरकार को इसके बारे में पता नहीं था।'

जिला कलेक्ट्रेट की वेबसाइट पर पुल के बारे में दिए विवरण के अनुसार, ‘यह एक इंजीनियरिंग चमत्कार था और यह केबल पुल ‘‘मोरबी के शासकों की प्रगतिशील और वैज्ञानिक प्रकृति" को प्रतिबिंबित करने के लिए बनाया गया था।'

सर वाघजी ठाकोर ने 1922 तक मोरबी पर शासन किया। वह औपनिवेशिक प्रभाव से प्रेरित थे और उन्होंने पुल का निर्माण करने का फैसला किया जो उस समय का 'कलात्मक और तकनीकी चमत्कार' था। इसके अनुसार पुल निर्माण का उद्देश्य दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस (तत्कालीन राजघराने के निवास) से जोड़ना था। कलेक्ट्रेट वेबसाइट के अनुसार, पुल 1.25 मीटर चौड़ा था और इसकी लंबाई 233 मीटर थी। इसके अनुसार इस पुल का उद्देश्य यूरोप में उन दिनों उपलब्ध नवीनतम तकनीक का उपयोग करके मोरबी को एक विशिष्ट पहचान देना था।

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